कोरबा : नरवा विकास योजना से जल संरक्षण, फसल उत्पादन और सिंचाई क्षमता में हो रही बढ़ोतरी

झोंकानाला के उपचार से 14 हेक्टेयर बढ़ा सिंचाई रकबा, 3 गावों के 175 किसान हो रहे लाभान्वित
मनरेगा से पांच हजार 065 रोजगार दिवस का भी हुआ सृजन

 

छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी ग्राम सुराजी योजना के तहत जिले में नरवा विकास के कार्यों के सकारात्मक परिणाम लगातार दिखाई दे रहे हैं। नरवा विकास योजना से जल संरक्षण, फसल उत्पादन और सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी हो रही है। योजना अन्तर्गत झोंका नाला के उपचार से 14 हेक्टेयर में सिंचाई रकबा बढ़ गया है। नाले के उपचार से 3 गावों के 175 किसान लाभान्वित हो रहे हैं। नाला उपचार के कार्यों से ग्रामीणों को गांव में ही काम मिला है। मनरेगा के माध्यम से नाला उपचार के कार्यों से पांच हजार 65 रोजगार दिवस का सृजन हुआ है। जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत झोंका नाला में जल संरक्षण एवं संवर्धन की विभिन्न संरचनाओं का निर्माण किया गया है। जिससे क्षेत्र में सिचाई रकबा बढ़ गया है। सिंचाई सुविधा मिलने से किसान अब वर्ष में दो फसल ले रहे हैं। किसान अब धान के साथ ही गेहूं सब्जी का उत्पादन भी करने लगे हैं। जिससे किसानों की वार्षिक आमदनी बढ़ी है और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। ग्राम पंचायत अमलडीहा सरपंच श्रीमती मनोज बाई कंवर का कहना है कि सरकार की नरवा विकास योजना बहुत ही लाभदायी योजना है। इस योजना के तहत परम्परागत जल स्रोतों का संरक्षण और विकास किया जा रहा है। जिसका लाभ किसानों को मिल रहा हैं।
झोंका नाला ग्राम पंचायत तुमान के पहाड़ से निकल कर अमझर, अमलडीहा से बहते हुए अहीरन नदी में मिलता है। इस नाले में पहले आठ महीने ही पानी रहता था, गर्मी के दिनों में पानी सूख जाता था। मई – जून के महीनों में पानी का संकट ज्यादा गहरा जाता था। मवेशियों के लिए भी पानी मिलना मुश्किल हो जाता था। इसके अलावा गर्मियों में नाले के समीप किसान चाह कर भी दूसरी फसल नहीं ले पाते थे। इस समस्या के समाधान के लिए नरवा उपचार और नरवा विकास के विभिन्न कार्य कराए गए। महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत झोंका नाला में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए विभिन्न  सरचनाएं जैसे  डबरी निर्माण लूज बोल्डर चेक डैम, गली प्लग, गेबियन स्टाप डेम आदि जल संरचनाओं का निर्माण किया गया। जिससे अब नाले में साल भर पानी भरा रहता है। नाले में जल संरचनाओं के निर्माण से जहाँ एक ओर इस क्षेत्र का जल स्तर  करीब 1 मीटर बढ़़ गया है। जिससे अब यहां के बोर कुआ जल्दी नहीं सूखते हैं, वहीं दूसरी ओर मनरेगा से कराये निर्माण कार्यों से पाँच हजार 065 रोजगार दिवस सृजित किये गये हैं। ग्रामीणों को गांव मे ही रोजगार मिलने से ग्रामीण भी खुश हैं। नाले में वर्ष भर पानी रहने से 3 गांवों के 175 किसानों को सिंचाई सुविधा मिल रही है, जिससे फसल उत्पादन भी बढ़ गया है।

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