Karnataka Court: वक्फ बोर्ड की अर्जी पर कर्नाटक की कोर्ट ने टीपू सुल्तान पर लिखी किताब बेचने पर रोक लगा दी है।
Ban on Book on Tipu Sultan: कर्नाटक की एक कोर्ट ने फैक्ट्स में छेड़छाड़ को लेकर टीपू सुल्तान पर लिखी किताब बेचने पर रोक लगा दी है। अदालत ने वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार (22 नवंबर) को टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) पर लिखी एक किताब के वितरण और बिक्री पर अंतरिम रोक लगा दी है। आरोप है कि इस किताब में पूर्ववर्ती मैसूर साम्राज्य शासक टीपू सुल्तान के बारे में गलत जानकारी है।
किताब की बिक्री पर 3 दिसंबर तक अस्थायी रोक: अतिरिक्त सिटी सिविल और सत्र न्यायालय ने मंगलवार को लेखक, प्रकाशक अयोध्या प्रकाशन और मुद्रक राष्ट्रोत्थान मुद्रणालय को ‘टीपू निजा कनसुगालु’ (Real Dreams of Tipu) नाम की किताब की बिक्री पर 3 दिसंबर तक अस्थायी रोक लगा दी है। इस किताब को रंगायन के निदेशक अडांडा सी करियप्पा ने लिखा था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “प्रतिवादी नंबर 1 से 3 और उनके माध्यम से या उसके तहत दावा करने वाले व्यक्तियों और एजेंटों को कन्नड़ भाषा में लिखित ‘टीपू निजा कनसुगालु’ नाम से पुस्तक के वितरण और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सहित कहीं भी बिक्री पर अस्थायी निषेधाज्ञा के माध्यम से रोक लगाई जाती है।” हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि यह निषेधाज्ञा उपरोक्त पुस्तक को अपने जोखिम पर छापने और पहले से ही प्रकाशित प्रतियों को सुरक्षित रखने में प्रतिवादी के आड़े नहीं आएगी।
पुस्तक में गलत जानकारी प्रकाशित करने का दावा: दरअसल, जिला वक्फ बोर्ड समिति के पूर्व अध्यक्ष बी एस रफीउल्ला ने ‘टीपू निजा कनसुगालु’ की बिक्री एवं वितरण पर रोक लगाने की मांग को लेकर अदालत का रुख किया था। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया था कि पुस्तक में गलत जानकारी प्रकाशित की गई है, जो न तो इतिहास द्वारा समर्थित है और न ही सही ठहराई गई है। रफीउल्ला ने दलील दी कि इस पुस्तक के प्रकाशन से बड़े पैमाने पर अशांति फैलने और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा होने की आशंका है।
रफीउल्ला की दलीलों को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा, “अगर पुस्तक में लिखी सामग्री गलत है और इसमें टीपू सुल्तान के बारे में गलत जानकारी दी गई है, ऐसे में अगर इसे वितरित किया जाता है तो इससे वादी को अपूरणीय क्षति होगी। साथ ही इससे सांप्रदायिक शांति और सद्भाव के भी भंग होने की आशंका है।”अदालत ने तीनों प्रतिवादियों को आकस्मिक नोटिस जारी कर मामले की सुनवाई तीन दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।