हिजाब के खिलाफ आंदोलन में मरे 122 लोग, ईरान में थम नहीं रहा पर्दे पर विवाद

प्रदर्शनों को कुचलने के लिए ईरानी सरकार की तरफ से की गई कार्रवाई में कम से कम 122 लोग मारे गए हैं। ओस्लो स्थित समूह ईरान ह्यूमन राइट्स (IHR) ने सोमवार को यह जानकारी दी।

महसा अमिनी की मौत के बाद से ईरान में पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों पर काबू पाने के लिए ईरानी सरकार ने भी हिंसक रुख अपनाया है। प्रदर्शनों को कुचलने के लिए ईरानी सरकार की तरफ से की गई कार्रवाई में कम से कम 122 लोग मारे गए हैं। ओस्लो स्थित समूह ईरान ह्यूमन राइट्स (IHR) ने सोमवार को यह जानकारी दी।

IHR ने एक बयान में कहा कि ईरानी सुरक्षा बलों ने सिस्तान-बलूचिस्तान के दक्षिण-पूर्वी प्रांत जाहेदान शहर में अलग-अलग झड़पों के दौरान कम से कम 93 अन्य लोगों को मार डाला। IHR ने इससे पहले अपनी रिपोर्ट में 108 लोगों के मारे जानी की बात कही थी लेकिन सोमवार को अपनी संख्या को अपडेट करते हुए इसने कहा कि कम से कम 122 लोग मारे गए हैं। इसने कहा कि देश भर में मारे गए लोगों में 27 बच्चे थे।

समूह के निदेशक, महमूद अमीरी-मोघद्दाम ने ईरानी सरकार की इस कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने इसे “लापरवाह सरकार नियोजित हिंसा कहा, जिसने बच्चों और कैदियों को भी निशाना बनाया है।” उन्होंने कहा कि इस्लामी गणराज्य के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत झूठे सबूत पेश कर लोगों को निशाना बनाया गया।

गौरतलब है कि 16 सितंबर को पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इन प्रदर्शनों के पीछे की सबसे बड़ी वजह अमिनी की मौत है। ईरान में 22 साल की महसा अमीनी को हिजाब ना पहनने के कारण पुलिस ने 13 सितंबर को हिरासत में लिया था। आरोप है कि पुलिस ने हिरासत में उसके साथ मारपीट की, जिससे वह कोमा में चली गई थीं। इस घटना के तीन दिन बाद यानी 16 सितंबर को महसा ने दम तोड़ दिया।

जाहेदान शहर में 30 सितंबर को विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। खबर आई थी कि क्षेत्र में एक पुलिस कमांडर द्वारा एक किशोरी के साथ बलात्कार किया गया है। इस घटना के बाद लोगों में गुस्सा देखा गया और हिंसा भड़क उठी थी।

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