बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व प्रोफेसर साईबाबा को जेल से रिहा करने का आदेश दिया और यूएपीए के सख्त प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाने का मंजूरी आदेश कानून की दृष्टि से गलत और अमान्य’ था।
दिल्ली यूनवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा को कथित माओवादी से संबंध होने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की ओर से बरी किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को साईबाबा को कथित माओवादी संपर्क मामले में बरी करने के हाई कोर्ट के आदेश रोक लगाने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि एनआईए को अनुमति दे दी कि वह तत्काल सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध करते हुए रजिस्ट्री के समक्ष आवेदन दे सकती है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायामूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि अदालत बरी करने के आदेश पर रोक नहीं लगा सकती क्योंकि विभिन्न पक्ष उसके सामने नहीं हैं। इससे पहले मेहता ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने और फैसले पर रोक लगाए जाने का उल्लेख किया।
‘तत्काल सुनवाई के लिए रजिस्ट्री के पास जाएं’
पीठ ने कहा कि उसने मामले की फाइल या हाई कोर्ट के फैसले पर भी गौर नहीं किया है। इसके साथ ही पीठ ने कहा, आप मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के संबंध में भारत के प्रधान न्यायाधीश के प्रशासनिक निर्णय के लिए रजिस्ट्री के समक्ष आवेदन दे करते हैं।’ इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय ने आज साईबाबा को माओवादियों से कथित संबंध से जुड़े मामले में बरी कर दिया।