मुलायम सिंह यादव ने अपने परिवार के छह सदस्यों को सांसद बनाया और बेटे अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री। उनके परिवार के 25 से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो राजनीति में सक्रिय हैं।
देश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव का कुनबा सबसे बड़ा है। उन्होंने परिवार के छह सदस्यों को सांसद बनाया और बेटे अखिलेश यादव को सीएम। शुरुआत मुलायम के बाबा मेवाराम से करते हैं। मेवाराम के दो बेटे थे। सुघर सिंह और बच्चीलाल सिंह। सुघर के पांच बेटे हुए। इनमें मुलायम सिंह यादव, रतन सिंह, राजपाल सिंह यादव, अभय राम सिंह और शिवपाल सिंह यादव। भाइयों में मुलायम तीसरे नंबर और शिवपाल सबसे छोटे हैं। परिवार के 25 से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो राजनीति में सक्रिय हैं।
1.अभय राम यादव: मुलायम के पांच भाइयों में अभय राम सबसे बड़े थे। धर्मेंद्र यादव उनके बेटे हैं। धर्मेंद्र तीन बार सांसद रह चुके हैं। सबसे पहले 2004 में मैनपुरी से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। इसके बाद 2009 और फिर 2014 में बदायूं से जीत हासिल की। 2019 लोकसभा चुनाव में वह हार गए। हाल, ही में आजमगढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी धर्मेंद्र सपा उम्मीदवार थे। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2.रतन सिंह यादव: मुलायम सिंह के पांच भाइयों में रतन सिंह दूसरे नंबर पर हैं। मैनपुरी के पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव रतन सिंह के पौत्र हैं। तेज प्रताप के पिता रणवीर सिंह हैं। तेज प्रताप ने इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस में एमएससी की है। तेज प्रताप उर्फ तेजू की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी से हुई है। मतलब तेजू लालू के दामाद भी हैं।
3.मुलायम सिंह यादव: लोहिया आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था। पांच भाइयों में मुलायम तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। मुलायम सिंह ने मालती देवी से पहली शादी की थी। अखिलेश यादव मुलायम और मालती देवी के ही बेटे हैं। मुलायम की दूसरी शादी साधना गुप्ता से हुई। साधना और मुलायम के बेटे प्रतीक यादव हैं। प्रतीक यादव राजनीति से दूर रहते हैं। वह जिम संचालित करते हैं। उनकी पत्नी अपर्णा यादव जरूर राजनीति में कदम रख चुकी हैं। अपर्णा 2017 में सपा के टिकट पर लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ी थीं। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
4.राजपाल सिंह यादव: मुलायम के पांच भाइयों में चौथे नंबर पर राजपाल सिंह यादव का नाम आता है। राजपाल मुलायम से छोटे हैं। राजपाल के बेटे अंशुल भी सक्रिय राजनीति में हैं। अंशुल लगातार दूसरी बार निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं। राजपाल की पत्नी प्रेमलता यादव भी राजनीति में हैं। 2005 में प्रेमलता ने राजनीति में कदम रखा था। प्रेमलता ही मुलायम सिंह यादव परिवार की पहली महिला हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा था। इसके बाद शिवपाल सिंह यादव की पत्नी सरला यादव, अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव ने राजनीति में कदम रखा।
5.शिवपाल सिंह यादव: मुलायम के सबसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव हैं। कहा जाता है कि राजनीति में मुलायम सिंह यादव की अगर किसी ने सबसे ज्यादा मदद की है तो वह शिवपाल सिंह यादव ने की हैं। सार्वजनिक मंच से खुद मुलायम इस बात का जिक्र कर चुके हैं। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले जब मुलायम के बड़े बेटे अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच अनबन हुई तो शिवपाल ने अलग पार्टी बना ली। शिवपाल जसवंतनगर सीट से विधायक भी हैं। उनके बेटे आदित्य यादव भी सक्रिय राजनीति में हैं।
6.प्रोफेसर रामगोपाल यादव: मुलायम सिंह यादव के चाचा बच्चीलाल सिंह के बेटे प्रोफेसर रामगोपाल यादव हैं। बच्चीलाल के दो बच्चे हैं। बेटे रामगोपाल और बेटी गीता यादव। रामगोपाल भी राजनीति में सक्रिय हैं। 2004 में उन्होंने मुलायम सिंह यादव के लिए मैनपुरी सीट छोड़ दी थी। मौजूदा समय में वह राज्यसभा के सांसद हैं। प्रो. रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं। वह 2014 में सपा के टिकट पर फिरोजाबाद से सांसद चुने गए थे। 2019 लोकसभा चुनाव में हार गए।
कुनबे के ये लोग भी हैं राजनीति में
सरला यादव: मुलायम के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव की पत्नी हैं। 2007 में सरला को जिला सहकारी बैंक इटावा की राज्य प्रतिनिधि बनाया गया था।
संध्या यादव: मुलायम की भतीजी और पूर्व सांसद धर्मेंद्र सिंह यादव की बहन संध्या यादव भी राजनीति में किस्मत आजमा चुकी हैं। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के तौर पर राजनीति में एंट्री की। उन्हें मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए निर्विरोध चुना गया था।
अरविंद यादव: मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई प्रो. रामगोपाल यादव की सगी बहन गीता देवी के बेटे अरविंद यादव हैं। 2006 में अरविंद ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा था।
शीला यादव: धर्मेंद्र सिंह यादव की दूसरी बहन शीला यादव भी सक्रिय राजनीति में हैं। वह तीन बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। शीला के बेटे राहुल की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के साले साधु यादव की बेटी डॉ. ईशा से हुई है।
प्रमोद कुमार गुप्ता: मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बहनोई हैं। प्रमोद औरैया जिले की बिधूना क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं।
हरिओम यादव: मुलायम सिंह यादव के समधी हैं। 2012 और 2017 में सपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। हरिओम के सगे भाई रामप्रकाश नेहरू की बेटी मृदुला से रणवीर सिंह यादव की शादी हुई थी। रणवीर, मुलायम के बड़े भाई रतन सिंह यादव के बेटे हैं। रणवीर और मृदुला के बेटे तेज प्रताप भी मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं। अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
अनुराग यादव: धर्मेंद्र यादव के छोटे भाई अनुराग भी सक्रिय राजनीति में किस्मत आजमा चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने उन्हें लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से उम्मीदवार बनाया था। हालांकि, अनुराग चुनाव हार गए थे।
साल 1992 में किया समाजवादी पार्टी का गठन
मुलायम सिंह यादव ने साल 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था। समाजवादी पार्टी आज पूरे देश में अपना जो मुकाम रखती है उसका पूरा श्रेय मुलायम सिंह यादव को ही जाता है। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में पार्टी ने कई चुनावों में जीत हासिल की। साल 2012 में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला था।
तीन बार बने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पहली बार वह साल 1989 में मुख्यमंत्री बने थे। उनका यह कार्यकाल एक साल 201 दिन का था। वहीं दूसरी बार मुलायम सिंह यादव साल 1993 में मुख्यमंत्री बने। उनका यह कार्यकाल 1 साल 6 महीने का रहा। वहीं तीसरी बार वह साल 2003 में मुख्यमंत्री चुने गए।
देश के रक्षा मंत्री भी रहे मुलायम
समय बीतने के साथ ही मुलायम सिंह यादव की पहचान देश के बड़े नेताओं में की जाने लगी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का कद भी बढ़ता गया। यही कारण था कि मुलायम सिंह यादव प्रदेश की राजनीति से भी ऊपर निकले और साल 1996 में केंद्र सरकार में उन्हें रक्षा मंत्री चुना गया।
सहकारी बैंक के निदेशक भी रहे मुलायम
मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर और इटावा के सहकारी बैंक के निदेशक भी रह चुके हैं। वहीं राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह यादव स्कूल में अध्यापन कार्य भी किया करते थे। राजनीति में आने के बाद मुलायम ने अध्यापन कार्य से इस्तीफा दे दिया था।
कांग्रेस सरकार में रहे राज्य मंत्री
मुलायम सिंह यादव पहली बार साल 1977 में मंत्री बने थे। इस समय उत्तर प्रदेश में कांग्रेस विरोधी लहर थी जिसके कारण जनता पार्टी ने अपनी सरकार बनाई थी। वहीं साल 1980 में कांग्रेस सरकार फिर वापस आई, तब मुलायम सिंह यादव को राज्य मंत्री बनाया गया था। इसके बाद मुलायम चौधरी चरण सिंह के लोक दल के अध्यक्ष भी बने लेकिन विधानसभा चुनाव हार गए थे।
सुर्खियों में रहे मुलायम के यह बयान
वर्ष 2012 में, दिल्ली गैंग रेप (बलात्कार) की घटना के बाद, मुलायम सिंह ने एक विवादास्पद बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि “लड़के हैं, गलती हो जाती हैं।” इसके बाद उन्होंने एक और रेप के मामले विवादास्पद बयान दिया था जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने जवाब दिया था, हम खारिज करते है उनके बयानों को और ऐसे विध्वंसक रवैये के लिए हम लड़कों को ही जिम्मेदार मानते हैं।
वर्ष 2014 में मुजफ्फरनगर दंगों की आग शांत भी नहीं हुई थी कि मुलायम ने एक सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसके कारण उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। वर्ष 2015 में, यूपी स्थित कुलपहर अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मुलायम के खिलाफ समन भेजते हुए बुलाया। मुलायम के द्वारा सामूहिक बलात्कारों को अव्यवहारिक बताया गया है।