लखनऊ में भारी बारिश में दीवार गिरने के चलते 2 बच्चों समेत 9 लोगों की मौत हो गई। राजधानी में हजारों जर्जर इमारतें हैं जो हादसे की वजह बन सकती हैं। जर्जर घोषित होने के बाद भी इन्हें तोड़ा नहीं जा रहा।
भारी बारिश के चलते शुक्रवार को लखनऊ की दिलकुशा कॉलोनी के पास सैन्य परिसर की चहारदीवारी ढह जाने से दो बच्चों समेत एक ही परिवार के नौ लोगों की दबकर मौत हो गई थी। राजधानी में ऐसे हादसे फिर से हो सकते हैं। इसकी वजह जर्जर और पुरानी इमारतों में बनी दुकानें और मकान हैं। जर्जर घोषित होने के बाद भी इन इमारतों को तोड़ा नहीं जा रहा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि सरकारी विभाग की सुस्ती की वजह से ही हादसे होते हैं। कई इमारतें तो विवादित होती हैं, जिस पर कोर्ट को भी जल्द फैसला लेना चाहिए।
अमीनाबाद में जर्जर इमारतों के नीचे खरीदारी जानलेवा अमीनाबाद चौराहे पर पुलिस चौकी के ठीक सामने शम्भूनाथ बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इस बिल्डिंग के निचले हिस्से में दुकानें चल रही हैं। यहां पर ज्यादातर किताबों, घड़ी आदि की आधा दर्जन से ज्यादा दुकानें हैं। बिल्डिंग के ठीक नीचे कई ठेले वाले भी रहते हैं। यहां पर रोजाना अधिक संख्या में छात्र व अन्य लोग किताब लेने आते हैं। इस भवन की परिधि में हर समय 70 से 80 लोग रहते हैं, जो दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।
कुछ ऐसा ही हाल अमीनाबाद में राज रतन के बगल वाली बिल्डिंग का है। यह बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। लेकिन नीचे दुकानें और फुटपाथ पर ठेके आदि खड़े रहते हैं। वहीं गड़बड़झाला के पास एक भवन का ऊपरी हिस्सा खंडहर में तब्दील हो गया है। इस पूरे इलाके में हमेशा यातायात और खरीदारों का भारी दबाव रहता है। यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हिन्दुस्तान टीम ने शुक्रवार को कॉलोनियों का मुआयना किया तो हालत खराब मिली हैं। भले ही आंकड़ों, दस्तावेजों में जर्जर घोषित नहीं किया गया है, लेकिन मौके पर यह जर्जर, खंडहर और खस्ताहाल हैं।
मौलवीगंज में भवन का छज्जा ढहा, चल रही दुकान
मौलवीगंज में भगंगा प्रसाद रोड स्थित एक मकान जर्जर है। सड़क पर मुख्य बाजार के बीच मकान में हिन्द ट्रेडर्स दुकान है। बिल्डिंग के एक हिस्से का छज्जा शुक्रवार ही बारिश में ढह गया। इस जर्जर मकान के ढहे हिस्से की ईंट पर वर्ष 1913 दर्ज है, जिससे लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि यह मकान 100 साल से भी पुराना है। मकान के अगल-बगल भी दुकानें बनी हैं। अमीनाबाद चौराहे पर इस जर्जर इमारत और आस पास दर्जनों दुकानें चल रही हैं, जहां हादसे का खतरा है।
बदहाल हज हाउस में कर्मचारी कर रहे काम
लोकभवन के गेट नंबर सात के ठीक बगल में हज हाउस का कार्यालय है। यहां की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। काफी समय पहले इसका कुछ हिस्सा टूट गया था। कर्मचारियों ने भवन के जर्जर होने पर आपत्ति की, लेकिन उस बिल्डिंग की मरम्मत नहीं कराई गई। जर्जर बिल्डिंग रोकने के लिए लोहे के बड़े-बड़े गर्डर साइड से दीवार पर लगा दिए गए, जो आज तक वैसे हैं। अंदर बिल्डिंग के एक क्षतिग्रस्त हिस्से को हरी जाली से ढंक दिया गया है। वहां लोगों का आना-जाना है।
सदर में छह साल पहले हुआ था हादसा
सदर बाजार में पुल के नीचे बनी पुलिस चौकी के ठीक सामने एक जर्जर बिल्डिंग है। करीब छह साल पहले बिल्डिंग का एक हिस्सा भरभराकर गिर गया था। इस हादसे के बाद भी किसी ने कोई सबक नहीं लिया। जर्जर बिल्डिंग के नीचे एक चाय की दुकान चलती है। जबकि बाहर ही फल का ठेला भी लगता है।
निगम की 1100 दुकानों की दीवारें कमजोर हो गईं
नगर निगम की 29 योजनाओं में 1891 दुकाने, 379 भवन,16 क्यास्क, 63 गैराज, 68 सर्वेंट क्वार्टर बने हैं। इनमें करीब 1100 दुकानें, 140 मकान जर्जर हालत में हैं। इन्हें जर्जर नहीं घोषित किया है।
करीब 250 निजी लोगों के मकान जर्जर चिन्हित
शहर में जर्जर मकान चिन्हित करने की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है। हर साल बारिश से पहले नगर निगम जर्जर मकान चिन्हित कराता है। करीब 2 वर्ष पहले नगर निगम ने शिकायतों व निरीक्षण के बाद करीब 250 लोगों के मकान जर्जर चिन्हित किए थे लेकिन गिराया नहीं गया।
नगर निगम जर्जर इमारतों को खुद नहीं तोड़ सकता है। इसको लेकर तमाम कानूनी पेंच होते हैं। निगम केवल नोटिस देता है। जिनकी जर्जर बिल्डिंग होती है उसे खुद तोड़ना पड़ता है। शहर की सभी जर्जर इमारतों को नोटिस दी गयी है। इनमें रहने वालों व मालिकों को इन्हें तोड़ने को कहा गया है।
महेश वर्मा, मुख्य अभियन्ता, नगर निगम