यूपी में तीन दिन बाद फिर पलटेगा मौसम, टूटेंगे सालों के रिकॉर्ड; इन जिलों में आज भी भारी बारिश के आसार

शुक्रवार को बारिश ने राजधानी लखनऊ से लेकर यूपी के अलग-अलग जिलों में जमकर तबाही मचाई। करीब 25 लोगों की जान बारिश की वजह से हुए हादसों में चली गई। तीन दिन बाद फिर मौसम पलटेगा। ऐसी ही बारिश हो सकती है।

यूपी में तीन दिन बाद मौसम फिर पलटेगा। मौसम विभाग के मुताबिक भारी बारिश के आसार हैं। मध्य यूपी पर कम हवा का दबाव है, बंगाल खाड़ी में चक्रवातीय दबाव बन रहा है। 1901 के बाद चौथी बार होगा, जब सितंबर में इतनी बारिश होगी। साल 1917 में सितंबर में 285.6 मिमी हुई थी। मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को भी पूर्वी यूपी के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है।

मानसून ने विदाई से पहले लखनऊ को सराबोर कर दिया है। बुधवार सुबह से शुरू हुई बारिश ने शुक्रवार सुबह तक बीते 35 सालों में सितम्बर माह में हुई बरसात के रिकॉर्ड तोड़ दिए। लखनऊ में बीते 15 घंटे में शुक्रवार सुबह 8.30 बजे तक 160.3 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इससे पहले 14 सितम्बर 1987 में 153.8 मिमी वर्षा हुई थी।

उधर, लंबे इंतजार के बाद मेहरबान हुआ मॉनसून प्रदेश के कई परिवारों के लिए मौत बनकर आया। गुरुवार शाम से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने प्रदेश में 25 लोगों की जान ले ली। सबसे बड़ा हादसा लखनऊ में हुआ। यहां भारी बारिश के कारण शुक्रवार तड़के कैंट इलाके में दिलकुशा कॉलोनी के पास सैन्य परिसर की चहारदीवारी ढह जाने से दो बच्चों समेत एक ही परिवार के नौ लोगों की दबकर मौत हो गई।

मॉनसून की बारिश के लिए तरस रहा था प्रदेश

सितम्बर में किसी एक दिन सर्वकालीन अधिकतम बारिश 250.1 मिमी 13 सितम्बर 1915 में हुई थी। इस बार मानसून में लखनऊ ही नहीं, पूरा राज्य सामान्य बरसात के लिए तरस रहा था। लखनऊ में सामान्य वर्षा 617.8 मिमी है, जबकि सिर्फ 397.3 मिमी हुई है। मानसून ने इस बार लखनऊ में काफी देरी से दस्तक दी थी। 29 जुलाई को झमाझम बरसात के साथ लखनऊ में इंट्री के बाद धीमा पड़ गया। पूरे जून के बाद जुलाई, अगस्त भी सामान्य वर्षा के लिए तरस गया।

धान की पिछैती प्रजातियों को फायदा, सब्जियों को भारी नुकसान 

खेती को नुकसान दे गई कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बारिश, तेज हवा से खरीफ फसलों में धान की पिछैती प्रजातियों को फायदा हुआ है मगर अगैती में पौध बड़ी थी इसलिए यह बिछ गयी। ज्वार, बाजरा और तिल की फसलों को भी नुकसान हुआ। अगैती तोरिया भी नुकसान में रहे। गोभी की अगैती भी नुकसान में रहे। लौकी, तरोई, भिण्डी, लोबिया के अलावा ज्वार, बाजरा की फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है।

सितंबर में बारिश के कारण
1. प्रशांत महासागर के ऊपर बना अल नीनो का प्रभाव। इसने मानसून को दबाया, जुलाई में कम बारिश हुई

2. बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र। इसके लगातार बनने की वजह से भारी बारिश होती है

3. मौसम विभाग के मुताबिक लो प्रेशर वाला एक सिस्टम 10 दिनों तक सक्रिय होता है। इसके लगातार बनने की वजह से सितंबर महीने में तेज बारिश होती है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *