लॉजिस्टिक सेक्टर में 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 सहयोगी सरकारी एजेंसियां (पीजीए), 37 एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, 500 सर्टिफिकेशन, 10,000 से अधिक कमोडिटीज हैं। यह करीब 160 अरब डॉलर का बाजार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर विज्ञान भवन में राष्ट्रीय रसद नीति (नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी) का शुभारंभ करने वाले हैं। लॉजिस्टिक नीति का उद्देश्य लॉजिस्टिक लागत को कम करना और वैश्विक बाजार में घरेलू सामानों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना है। राष्ट्रीय रसद नीति लागू होने से देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का लक्ष्य देशभर में गुड्स (सामान) के परिवहन को आसान बनाना है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 13 सितंबर को यह जानकारी दी थी।
दरअसल भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 13 से 14 प्रतिशत रसद यानी लॉजिस्टिक पर खर्च करता है। जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश लॉजिस्टिक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग आठ से नौ प्रतिशत खर्च करते हैं। ये देश अपने विकसित लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में भारत का भी यही लक्ष्य है कि लॉजिस्टिक को लागत प्रभावी बनाकर जीडीपी का खर्च कम किया जाए।
लॉजिस्टिक सेक्टर में 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 सहयोगी सरकारी एजेंसियां (पीजीए), 37 एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, 500 सर्टिफिकेशन, 10,000 से अधिक कमोडिटीज हैं। यह करीब 160 अरब डॉलर का बाजार है। वर्ल्ड बैंक लॉजिस्टिक्स इंडेक्स 2018 के अनुसार, भारत लॉजिस्टिक्स लागत में 44 वें स्थान पर है, जो अमेरिका और चीन जैसे देशों से बहुत पीछे है। ये देश क्रमशः 14वें और 26वें स्थान पर हैं।