यूपी के इस जिले में माफिया नहीं बिजली विभाग को कुर्की का नोटिस, दफ्तर किया गया सील, जानिये मामला

रामपुर में बुधवार को बिजली विभाग के दफ्तर को ही सील कर दिया गया। कुर्की के आदेश और पुलिस बल की मौजूदगी में कोर्ट अमीन ने कर्मचारियों को बाहर निकालकर अधिशासी अभियंता प्रथम के दफ्तर को सील कर दिया।

माफियाओं के खिलाफ कुर्की और सीलिंग की कार्रवाई के लिए मशहूर हो गए यूपी में अब बिजली विभाग के खिलाफ कुर्की का नोटिस और सीलिंग की कार्रवाई हुई है। मामला रामपुर का है। यहां बुधवार को बिजली विभाग के दफ्तर को ही सील कर दिया गया। कुर्की के आदेश और पुलिस बल की मौजूदगी में कोर्ट अमीन ने अधिशासी अभियंता प्रथम के दफ्तर को सील किया।

टीम की कार्रवाई के दौरान सभी कर्मचारियों को दफ्तर से बाहर निकाल दिया गया। खुद अफसर भी बाहर निकल आए। सीलिंग की जानकारी मिलते ही विभागीय अफसरों में हड़कंप मच गया है। मामला करंट से झुलसे ग्रामीण को मुआवजा नहीं देने का है। हालांकि बाद में दावा किया गया कि मुआवजे की राशि कोर्ट में जमा कर दी गई है।

कोर्ट के आदेश पर बुधवार को एक टीम कोर्ट अमीन अमित कुमार के नेतृत्व में पुलिस बल के साथ नवाबगेट स्थित विद्युत वितरण खंड प्रथम कार्यालय पहुंची,जहां टीम ने मौके पर मौजूद अधिशासी अभियंता प्रथम भीष्म सिंह तोमर को कुर्की के आदेश दिखाए। इस दौरान अधिशासी अभियंता का कहना था कि मुआवजा की धनराशि कोर्ट में जमा करा दी गई है।

मगर,इसको लेकर कोर्ट का आदेश न होने का हवाला देते हुए दफ्तर को खाली कराने के आदेश दिए गए, जिसके बाद यहां पर तैनात अफसर व कर्मचारी दफ्तर से बाहर निकल आए और फिर पुलिस की मौजूदगी में ही दफ्तर की सीलिंग की कार्रवाई शुरू कर दी। टीम ने अधिशासी अभियंता प्रथम भीष्म कुमार तोमर का दफ्तर भी सील कर दिया। सीलिंग की इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया। करीब आधे घंटे की कार्रवाई के दौरान पुलिस बल मौजूद रहा।

क्या है मामला

मामला 31 मई 1998 का है। बरेली के  मीरगंज थाना क्षेत्र के शाही के ग्राम दुनका निवासी वशीर अहमद रामपुर के ग्राम नगला उदई में शादी समारोह में शामिल होने के लिए आए थे। ग्राम लोहा से आगापुर का मझरा के किनारे 11 हजार केवी की विद्युत लाइन लटकी हुई थी, जिसकी चपेट में आकर वो बुरी तरह से झुलस गए। जिससे उनके दोनों पैर 90 फीसदी खराब हो गए। उनके द्वारा विभाग से मुआवजे की मांग की।

विभाग द्वारा मुआवजा नहीं दिए जाने पर उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में वाद दायर किया। कोर्ट ने इस मामले में 12 नवंबर 2014 को वशीर अहमद को तीन लाख रुपये छह फीसदी ब्याज की दर दिए जाने के आदेश दिए। विभाग ने वशीर अहमद को 4.25 लाख रुपये अदा नहीं किए। जिस पर वसीर अहमद के अधिवक्ता ने दोबारा कोर्ट में इजरा दायर की,  जिस पर एक अगस्त को कोर्ट ने विद्युत वितरण खंड प्रथम के कार्यालय की कुर्की के और उसको सील करने के आदेश दिए थे।

इधर दफ्तर सील, उधर कोर्ट में जमा कर दी मुआवजा राशि

करोड़ों रुपये का हर माह राजस्व कमाने वाला बिजली विभाग 4.10 लाख रुपये मुआवजे के लिए नहीं दे सका। इधर दफ्तर जब सील हुआ तो विभागीय अफसरों ने आनन-फानन में कोर्ट में मुआवजे की राशि कोर्ट में जमा करा दी। जिस पर देर शाम सील खोल दी गई। मुआवजा की यह लड़ाई आठ साल पहले शुरू हुई थी।

बरेली के मीरगंज थाना क्षेत्र के शाही के ग्राम दुनका निवासी वशीर अहमद रामपुर के ग्राम नगला उदई में शादी समारोह में शामिल होने के लिए आए थे। ग्राम लोहा से आगापुर का मझरा के किनारे 11 हजार केवी की विद्युत लाइन लटकी हुई थी, जिसकी चपेट में आकर वो बुरी तरह से झुलस गए। जिससे उनके दोनों पैर 90 फीसदी खराब हो गए थे।

मुआवजे केलिए उन्होंने कोर्ट में आठ साल तक लड़ाई लड़ी। पिछले माह कोर्ट ने दफ्तर को सील करने के आदेश दिए थे। इस आदेश को बिजली विभाग बेहद ही हल्के ढंग से लेता रहा। यही वजह रही कि बुधवार को कोर्ट अमीन के नेतृत्व में टीम दफ्तर को सील करने पहुंची तब पहले तो मुआवजे की राशि को कोर्ट अमीन के पास खुद जमा करने को अफसर कहते रहे,लेकिन उन्होंने इंकार करते रहे,जिसके बाद टीम ने दफ्तर को सील कर दिया।

सीलिंग की कार्रवाई के बाद हरकत में आए बिजली विभाग ने 3.99 लाख का बैंक ड्राफ्ट कोर्ट में जमा कर दिया। मगर, इसमें 11 हजार रुपये की धनराशि कम पाई गई,जिस पर उसे कैश जमा कराया। अधिशासी अभियंता भीष्म सिंह तोमर का कहना है कि मुआवजे की धनराशि कोर्ट में जमा हो गई है। देर शाम कोर्ट के आदेश पर सील खोल दी गई है।

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