गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स से पीछे हट रही भारत-चीन की सेना, लद्दाख जाकर आज आर्मी चीफ लेंगे जायजा

मई 2020 में चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी। इसके बाद से दोनों देशों के सैनिक पैट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास एक दूसरे के विपरीत तैनात हैं।

भारत और चीने के बीच करीब दो वर्षों से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। कूटनीतिक चैनल के जरिए भी दोनों देशों के संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की संभावित मुलाकात से एक सप्ताह पहले कल एक अच्छी खबर यह आई कि दोनों देशों की सेनाएं गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र से पीछे हट रही हैं। 12 सितंबर तक इस इलाके को खाली कर दिया जाएगी। आज स्थिति का जायजा लेना सेना प्रमुख मनोज पांडेय खुद लद्दाख का दौरा करने वाले हैं।

आपको बता दें कि 16वें दौर की बैठक 17 जुलाई को हुई थी। भारत द्वारा जल्द ही इस मुद्दे पर एक बयान जारी करने की संभावना है। वार्ता के तुरंत बाद सरकारी सूत्रों ने कहा था कि यह संभावना है कि भारत अपने पोस्ट को करम सिंह हिल फीचर की ओर ले जा सकता है। वहीं, चीनी सैनिक उत्तर की ओर वापस जा सकते हैं।

मई 2020 में चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी। इसके बाद से दोनों देशों के सैनिक पैट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास एक दूसरे के विपरीत तैनात हैं। पिछले महीने भारत और चीन की सेना ने एक डिवीजन कमांडर-स्तरीय बैठक की। दोनों ही देशों ने लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए विस्तार से चर्चा की।

गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स से पीछे हटने की प्रक्रिया अगले तीन दिनों में होगी पूरी
भारत और चीन पूर्वी लद्दाख के ‘गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स’ इलाके से पीछे हटने की प्रक्रिया 12 सितंबर तक पूरी करेंगे। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी। मंत्रालय के इस बयान से एक दिन पहले भारत और चीन की सेनाओं ने घोषणा की थी कि उन्होंने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स के ‘पेट्रोलिंग प्वाइंट 15’ से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है।

एक सप्ताह बाद हो सकती है मोदी-जिनपिंग की मुलाकात
उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से लगभग एक सप्ताह पहले इलाके से पीछे हटने की घोषणा की गई। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भाग लेने की उम्मीद है। बीजिंग में, यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और चीन 15 से 16 सितंबर को समरकंद में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मोदी-शी की संभावित बैठक के बारे में एक-दूसरे के संपर्क में हैं, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि ”उनके पास इस समय इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।” उन्होंने कहा, ”हमारा मानना है कि पीछे हटने की प्रक्रिया एक सकारात्मक कदम होगा । यह सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के माहौल के लिए महत्वपूर्ण है और चीन भी शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत के साथ काम करने की उम्मीद करता है।”

मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस मामले से जुड़े सवालों के जवाब में कहा, ”इस बात पर सहमति बनी कि इलाके में दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे और अन्य संबद्ध ढांचे ध्वस्त किए जाएंगे और इसकी पारस्परिक रूप से पुष्टि की जाएगी। इलाके में भूमि का वही प्राकृतिक स्वरूप बहाल किया जाएगा, जो दोनों पक्षों के बीच गतिरोध की स्थिति से पहले था।” उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों ने वार्ता जारी रखने और भारत-चीन सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास शांति बहाल करने एवं शेष मुद्दों को सुलझाने पर सहमति जताई है।

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