बचे हुए विधायक भी छोड़ेंगे उद्धव ठाकरे का साथ! शिंदे के मंत्री का दावा

भुमरे ने दावा किया कि विधायक जल्द ही एकनाथ शिंदे के समर्थन का ऐलान करेंगे। हालांकि भुमरे ने ना ही उस विधायक का नाम बताया है और ना ही संख्या बताई है कि कितने विधायक साथ छोड़ देंगे।

शिवसेना में फूट के बाद इस बात को लेकर विवाद शुरू हो गया है कि असली शिवसेना कौन है। महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कई सप्ताह से इसको लेकर उथल-पुथल मची हुई है। एकनाथ शिंदे पहले ही उद्धव ठाकरे गुट के ज्यादातर विधायक अपने पाले में कर चुके हैं। इसी बीच शिंदे के एक मंत्री ने दावा किया है कि जल्द ही और विधायक पाला बदलकर शिंदे का समर्थन कर सकते हैं।

संदीपन भुमरे ने कहा- विधायक संपर्क में हैं
दरअसल, एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री संदीपन भुमरे ने औरंगाबाद में आयोजित एक सभा के दौरान कहा कि उद्धव ठाकरे गुट के और विधायक उनके संपर्क में हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भुमरे ने दावा किया कि विधायक जल्द ही एकनाथ शिंदे के समर्थन का ऐलान करेंगे। हालांकि भुमरे ने ना ही उस विधायक का नाम बताया है और ना ही संख्या बताई है कि कितने विधायक उद्धव का साथ छोड़ देंगे।

दावे पर शिवसेना का पलटवार भी
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि भुमरे के इस दावे पर शिवसेना की तरफ से प्रतिक्रिया भी आई है। विधान परिषद में विपक्ष के अंबादास दानवे ने भुमरे पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें पहले अपना ख्याल रखना चाहिए। उनके खुद के कार्यक्रम में 50 लोग नहीं रहते। मालूम हो कि भुमरे शिंदे सरकार में रोजगार गारंटी और हार्टीकल्चर मंत्री हैं।

अब असली शिवसेना को लेकर लड़ाई जारी
बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे का गुट और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट असली शिवसेना को लेकर लड़ रहा है। शिवसेना के करीब पचास से अधिक विधायकों को अपने पाले में करने के बाद शिंदे ने शिवसेना पर दावेदारी को लेकर मुकदमा कर दिया है। यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। पार्टी पर दावा जताने के लिए दोनों गुटों के पदाधिकारियों के हलफनामे एकत्र किए जा रहे हैं।

उधर सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ जमीन पर भी द्वंद देखने को मिल रहा है। अब एकनाथ शिंदे की नजर शिवसेना की अक्टूबर में होने होने वाली दशहरा रैली पर जा टिकी है। शिवाजी पार्क मैदान में कई सालों से शिवसेना की दशहरा सभा बिना किसी असफलता के आयोजित की जाती रही है। बारिश के कारण दो-तीन बार बैठक जरूर रद्द करनी पड़ी है।

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