बोटॉक्स को पूरे चेहरे पर इंजेक्ट किया जाता है, आमतौर पर टी-ज़ोन में पर इसका ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। पारंपरिक बोटॉक्स उपचार में, बोटॉक्स को मांसपेशियों की परत में इंजेक्ट किया जाता है।
आजकल अगर कोई परफेक्ट दिखना चाहता है। ऐसे लोग कई तरह के स्किन केयर प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करने के साथ स्किन सर्जरी और कॉस्मेटिक का भी सहारा ले रहे हैं। जैसे, इन दिनों माइक्रोबोटोक्स का चलन काफी बढ़ गया है। माइक्रोबोटोक्स जिसे मेसोबोटोक्स या माइक्रोटॉक्स भी कहा जाता है, स्किन ट्रीटमेंट की एक तकनीक है। यह उपचार बोटॉक्स फिलर्स का एक स्टेप आगे का प्रोसेस है। ट्रेडिशनल बोटॉक्स में कुछ अंगो को ही फिल किया जाता है जबकि माइक्रोबोटोक्स नई तकनीक है, जिसमें चेहरे पर बोटॉक्स की थोड़ी मात्रा चेहरे पर अप्लाई की जाती है।
माइक्रोबोटोक्स क्या है
माइक्रोबोटोक्स या मेसोबोटोक्स एक कॉस्मेटिक प्रोसेस है जो फाइन लाइन्स (महीन रेखाओं) और झुर्रियों को कम करने के लिए काम करती है, जिससे स्किन काफी सॉफ्ट नजर आती है। इस तकनीक से स्किन पर ऑयल और पसीने कम आते हैं। जिन लोगों की स्किन पिम्पल्स वाली होती हैं, वे इस तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। बोटॉक्स की तरह इसमें भी बोटुलिनम इंजेक्शन के साथ इंजेक्ट किया जाता है। लेकिन जो चीज बोटॉक्स ट्रीटमेंट को माइक्रोबोटोक्स से अलग करती है, वह है माइक्रोनेडल का इस्तेमाल थोड़ी मात्रा में पतला बोटॉक्स के साथ किया जाता है। बोटॉक्स को पूरे चेहरे पर इंजेक्ट किया जाता है, आमतौर पर टी-ज़ोन में पर इसका ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। पारंपरिक बोटॉक्स उपचार में, बोटॉक्स को मांसपेशियों की परत में इंजेक्ट किया जाता है, लेकिन माइक्रोबोटोक्स में रसायन को एपिडर्मिस के ठीक नीचे त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है और यही चेहरे को सॉफ्टनेस देने के साथ ओपन पोर्स और पसीने को कम कर देता है। माइक्रोबोटोक्स ट्रीटमेंट परमानेंट नहीं है। इस ट्रीटमेंट के बाद स्किन धीरे-धीरे 3-6 महीनों के भीतर पहले जैसी हो जाती है।
कितना टाइम लगता है
इस पूरे प्रोसेस को आमतौर पर 30-45 मिनट में पूरा कर लिया जाता है।
प्रोसेस के बाद क्या होता है
प्रक्रिया के बाद चेहरा थोड़ा लाल दिखाई देता है। यह रेडनेस कुछ घंटों के भीतर कम हो जाती है। 2-3 घंंटों बाद भी अगर आपको अपनी स्किन रेड दिखाई देती है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
यह तकनीक क्यों है जरूरी
यह तकनीक इसलिए इतनी पॉप्युलर हो रही है क्योंकि इससे स्किन से ऑयल कम बनता है और जिन लोगों को पसीने आते हैं, वे भी इस तकनीक को पसंद कर रहे हैं।