ताजमहल का नाम तेजो महालय करने की मांग एक बार फिर तेज हो गई। नगर निगम सदन में आज होने वाली बैठक में भाजपा पार्षद प्रस्ताव बनाकर पेश करने का फैसला लिया है।
ताजमहल का नाम तेजो महालय करने की मांग फिर तेज हो गई है। अब नगर निगम सदन में भी गूंजेगी। भाजपा पार्षद शोभाराम राठौर ने इसे प्रस्ताव बनाकर बुधवार को होने वाली नगर निगम के सदन की बैठक में पेश करने का फैसला लिया है। इस पर अधिकारी मौन हैं, लेकिन मेयर का कहना है कि प्रस्ताव आया है, सदन में पढ़ा जाएगा और सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद आगे की कार्यवाही होगी।
पार्षद शोभाराम राठौर का तर्क है कि नगर निगम ने साढ़े चार वर्षों में सड़कों और चौराहों का नामकरण किया है। इसलिए अब वह ताजमहल का नाम तेजो महालय रखने का प्रस्ताव नगर निगम में पेश करेंगे।
पार्षद के तर्क
स्मारक को ताजमहल नाम एक विदेशी यात्री द्वारा दिया गया है जो कि मूलनाम तेजो महालय का अपभ्रंश है। विश्व में आजतक किसी कब्रिस्तान के साथ महल (पैलेस) शब्द नहीं जुड़ा है। ऐतिहासिक एवं लिखित प्रमाण है कि उक्त परिसर राजा जयसिंह की सम्पत्ति था। जिसे शाहजहां ने हथियाया।
● शाहजहां की प्रेम कहानी कपोल कल्पित और रची गई लगती है, क्योंकि शाहजहां की कई पत्नियां थीं।
● तथाकथित रानी मुमताज का असली नाम अर्जुमन्द बानो था।
● कथित मुमताज यानी अर्जुमन्द बानो की मृत्यु बुरहानपुर में उक्त स्मारक निर्माण से लगभग 22 वर्ष पहले हुई।
● वर्तमान में भी बुरहानपुर में अर्जुमन्द बानों का मकबरा मौजूद है।
● इतने साल मुमताज का मृत शरीर कैसे सुरक्षित रहा? इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है, स्वयं शाहजहां के बादशाह नामे में इस संन्दर्भ में विरोधाभासी कथन दर्ज है।
● इतिहासकार टैवर्नियर, पीटर मुंडी, औरंगजेब के पत्र और इतिहासकार पीएन ओक के अनुसंधान उपरान्त यह सिद्ध होता है कि ‘ताज महल’ एक मन्दिर भवन है। जिसे अनाधिकृत रूप से हथियाकर जीर्णोद्धार द्वारा मुगल रूप देने का प्रयास किया है।
● शाहजहां की प्रेम-कथा को पुख्ता करने के लिए समाज में इससे सम्बन्धित अन्य कहानियां भी रची गई थीं। जैसे शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए, शाहजहां एक दूसरा काला ताजमहल भी बनाना चाहता था आदि। सफेद झूठ सिद्ध हो चुकी हैं।