दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सीबीआई छापे के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया है।
दिल्ली शराब नीति में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सीबीआई छापे के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर लिया है।
जानकारी के अनुसार, ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत औपचारिक मामला दर्ज कर लिया है। एजेंसी अब सिसोदिया समेत विभिन्न सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों की संलिप्तता और प्रक्रिया में उत्पन्न अवैध धन के संभावित निशान तलाशेगी। ईडी एक वित्तीय जांच एजेंसी है, जो इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच करेगी।
ईडी अपनी जांच के दौरान इस बात का विश्लेषण करेगी कि क्या नीति निर्माण और संबंधित संस्थाओं में शामिल व्यक्तियों और कंपनियों ने ‘पीएमएलए की परिभाषा के तहत अपराध की आय’ और क्या अवैध या बेनामी संपत्ति का कोई संभावित निर्माण किया था। ईडी के पास ऐसी संपत्तियों को कुर्क करने और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में लिप्त लोगों से पूछताछ करने, गिरफ्तार करने और मुकदमा चलाने का अधिकार है।
सीबीआई की एफआईआर में मनीष सिसोदिया समेत 15 के नाम
आबकारी नीति मामले में 17 अगस्त को सीबीआई द्वारा दिल्ली के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों पर नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी। सीबीआई ने एफआईआर में आपराधिक साजिश से संबंधित आईपीसी की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों को जोड़ा है। एफआईआर में आरव कृष्णा, पूर्व उप आबकारी आयुक्त आनंद तिवारी और सहायक आबकारी आयुक्त पंकज भटनागर, नौ व्यवसायी और दो कंपनियों सहित लोक सेवकों के नाम भी शामिल हैं।
इस संबंध में सीबीआई ने बीते शुक्रवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आईएएस अधिकारी और पूर्व आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्णा के आवास सहित 31 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की थी। सिसोदिया के घर करीब 15 घंटे तक चली छापेमारी के दौरान एजेंसी जब्त किए गए दस्तावेजों की भी जांच कर रही है।
बता दें कि, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोपों की सीबीआई जांच की सिफारिश करने के बाद दिल्ली सरकार द्वारा इस साल जुलाई में नीति को वापस ले लिया गया था।