टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन ने अपना पहला इंटरनेशनल मैच 2015 में खेला था, लेकिन इसके बाद वह लगातार टीम से अंदर-बाहर होते रहे हैं। इस पर संजू सैमसन ने अपनी बात खुलकर रखी है।
जुलाई 2015 में संजू सैमसन ने अपने करियर का पहला इंटरनेशनल मैच खेला था। डेब्यू के सात साल के अंदर संजू ने कुल मिलाकर 6 वनडे और 16 टी20 इंटरनेशनल मैच ही खेले हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वह कई बार टीम से अंदर-बाहर होते रहे हैं, लेकिन इसको देखने का उनका अपना अलग नजरिया है। सैमसन का मानना है कि जिंदगी में जो कुछ होता है, उसका आप पर पॉजिटिव असर पड़ता है। सैमसन ने पिछले मैच में 39 गेंद पर नॉटआउट 43 रनों की पारी खेली थी। सैमसन जब बल्लेबाजी के लिए आए थे, तब टीम इंडिया ने 100 रनों के अंदर चार विकेट गंवा दिए थे।
जिम्बाब्वे के खिलाफ तीन मैचों की सीरीज में सैमसन भारतीय टीम का हिस्सा हैं। तीसरे वनडे इंटरनेशनल से पहले उन्होंने कहा, ‘मुझे बीच में बल्लेबाजी करने का ज्यादा मौका नहीं मिला है, तो प्रेशर सिचुएशन में मैं खुद को टेस्ट करना चाहता था। वह कुछ अच्छी बाउंसर गेंद फेंक रहे थे, लेकिन बीच में बल्लेबाजी करने का मजा आया।’ टीम से बार-बार अंदर-बाहर होने को लेकर उन्होंने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो आप जीवन में जिन परिस्थितियों से गुजरते हैं, उसका आपके जीवन पर पॉजिटिव असर होता है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘निश्चित तौर पर अपने सभी दोस्तों को देश के लिए खेलते हुए देखना मुश्किल समय था, लेकिन मुझे इस दौरान डोमेस्टिक मैच खेलकर भी मजा आया। कप्तानी ने खेल को लेकर मेरा नजरिया बदला है, इससे माइंडसेट अलग हुआ है और मेरा क्रिकेटिंग ब्रेन भी बेहतर हुआ है। मुझे हैरानी होती है कि जब मैं कहीं भी जाता हूं और लोगों का मुझे इतना सपोर्ट मिलता है, कई लोग मुझे ‘चेट्टा’ पुकारते हैं। मलयाली होने और मलयाली क्रिकेटर होकर अपने देश के लिए खेलने को लेकर मुझे गर्व है।’ भारत ने पहले दो मैच जीतकर सीरीज पर पहले ही कब्जा कर लिया है।