भारतीय टीम 1986 और पाकिस्तान की टीम 1990 में एशिया कप नहीं खेल पाई थी। इसके पीछे की वजह भी बहुत ही दिलचस्प है। भारत ने श्रीलंका में हुए और पाकिस्तान ने भारत में हुए एशिया कप से बाहर रहा था।
1984 में एशिया कप की शुरुआत हुई थी। शारजाह में इस टूर्नामेंट का पहला सीजन खेला गया था, जो सफल रहा था, लेकिन भारत 1986 के संस्करण में नहीं खेल पाया था, जबकि पाकिस्तान की टीम 1990 में हुए एशिया कप में हिस्सा नहीं ले पाई थी। ऐसे में आप इस खबर में जान पाएंगे कि 1984 के एशिया कप की सफलता की वजह से एशियन क्रिकेट काउंसिल यानी एसीसी ने 1986 में श्रीलंका में खुद समेत भारत और पाकिस्तान के साथ दूसरे सीजन को आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया। हालांकि, ये आसान नहीं था।
जुलाई 1983 से श्रीलंका में गृहयुद्ध छिड़ा हुआ था, जब तमिल ईलम के लिबरेशन टाइगर्स के नरसंहार के बाद एक विद्रोह शुरू हुआ था। देश में हिंसा का दौर चला, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों लोगों की जान चली गई। 1984 में जब श्रीलंका ने इंग्लैंड का दौरा किया था, तब प्रदर्शनकारियों ने अपनी बात रखी थी। लॉर्ड्स में प्रदर्शनकारियों ने अपने एकमात्र टेस्ट मैच के दौरान उत्पात मचाया था। अनुराधापुरा नरसंहार ने मई 1985 में 146 लोगों की जान ले ली थी।
दो महीने बाद, भारत सरकार ने श्रीलंका सरकार और लिट्टे के बीच थिम्पू, भूटान में शांति वार्ता आयोजित करने का प्रयास किया था, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली थी। इन वर्षों में, श्रीलंका में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ज्यादा समय बाधित रही। 21 अप्रैल 1987 को कोलंबो सेंट्रल बस स्टेशन पर बमबारी में कम से कम 113 लोग मारे गए थे। न्यूजीलैंड के श्रीलंका दौरे को बीच में ही रोकना पड़ा था। उसके बाद से अगस्त 1992 के बीच किसी भी टीम ने श्रीलंका का दौरा नहीं किया।
हालांकि, यह 1986 की बात है, जब टीमों ने श्रीलंका का दौरा किया था, जो तब सबसे नया टेस्ट खेलने वाला देश था। भारत ने खुद अगस्त 1985 में तीन टेस्ट मैच और तीन एकदिवसीय मैच श्रीलंका में खेले थे। पाकिस्तान ने फरवरी 1986 में श्रीलंका का दौरा किया था, लेकिन इसी साल मार्च-अप्रैल में खेले गए एशिया कप में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था। वहीं, जब पाकिस्तान की टीम फरवरी में श्रीलंका में खेल रही थी तो उस समय श्रीलंकन अंपायरों के कुछ फैसलों के कारण काफी विवाद हुआ था।
हालांकि, श्रीलंका में 1986 में हुई उथल-पुथल के कारण भारत ने एशिया कप से बाहर होना उचित समझा था, क्योंकि बोर्ड अपने क्रिकेटरों को जोखिम में नहीं डालना चाहता था। इस वजह से टूर्नामेंट को द्विपक्षीय सीरीज में बदलने से बचने के लिए बांग्लादेश को आमंत्रित किया गया था। उनके दो लीग मैच भी बांग्लादेश की टीम के पहले वनडे इंटरनेशनल मैच थे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 94 और श्रीलंका के खिलाफ 131-8 रन बनाए, दोनों ही मुकाबले बांग्लादेश ने गंवाए थे।
1988 में एशिया कप का तीसरा सीजन खेला गया, जिसे बांग्लादेश ने होस्ट किया और ऐसा पहली बार था, जब इसमें चार टीमों ने हिस्सा लिया था। श्रीलंका की टीम ग्रुप स्टेज में एक भी मैच नहीं हारी थी, लेकिन फाइनल में भारत ने श्रीलंका को हराया था। इसके बाद भारतीय टीम 1989 के आखिर मे पाकिस्तान के दौरे पर गई। इस सीरीज ने भविष्य के दो महान खिलाड़ियों को जन्म दिया, जिनमें एक का नाम सचिन तेंदुलकर और दूसरे का नाम वकार यूनिस है।
हालांकि, इसके बाद दोनों देश कश्मीर में सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र को लेकर एक सैन्य संघर्ष में आमने-सामने थे। उसी साल पाकिस्तान ने सियाचिन को कब्जाने का प्रयास किया था। इसी साल भारत में एशिया कप का आयोजन होना था, जिसमें एशिया कप 1990 से पाकिस्तान ने बाहर रहना उचित समझा था। इससे तीन साल पहले दोनों देशों ने क्रिकेट वर्ल्ड कप की मेजबानी की थी, लेकिन फिर 1997/98 तक कोई भी द्विपक्षीय सीरीज दोनों देशों के बीच नहीं हुई।
1990 के बाद से भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश की सभी चार टीमों ने हर बार एशिया कप में भाग लिया है। हालांकि, श्रीलंका एकमात्र टीम है, जो हर संस्करण का हिस्सा रही है, लेकिन सबसे ज्यादा बार खिताब जीतने का रिकॉर्ड भारत के नाम है। अब तक हुए 14 सीजन में से टीम 7 बार विजेता रही है, जबकि 5 बार श्रीलंका ने बाजी मारी और दो बार पाकिस्तान की टीम का कब्जा एशिया कप पर कब्जा रहा है।