कानपुर में 12-18 वर्ष के बच्चों में 5.16 लाख को वैक्सीन लगी है। शेड्यूल के बाद कार्बेवैक्स की सेकेण्ड डोज लगवाने नहीं आ रहे हैं बच्चे। दो महीने वैक्सीन लेने के लिए याद भी दिलाया जा रहा है।
कानपुर। शहर के साथ ही साथ अब जिले के अन्य हिस्सों में भी कोरोना के मरीज मिलने लगे हैं। इसके बावजूद बच्चों का वैक्सीनेशन अधर में फंस गया है। शहर में 54 हजार बच्चे कार्बेवैक्स की पहली डोज लेने के बाद गुम हो गए। लगातार दो बार याद दिलाने के बाद भी ये बच्चे वैक्सीन की सेकेण्ड डोज लगवाने के लिए नहीं आ रहे हैं। वैसे तो जुलाई में ही बच्चों का वैक्सीनेशन पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन लक्ष्य के मुकाबले 15 फीसदी बच्चे अब भी बचे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने वैक्सीनेशन के लिए 15-18 वर्ष के 3.21 लाख किशोरों और 12-14 आयु वर्ग में 1.94 लाख बच्चों का चयन किया था। पहली डोज तो सभी ने लगवाई पर दोनों कैटेगरी में 54 हजार बच्चे और किशोर सेकेण्ड डोज लगवाने के लिए नहीं आए। विभाग ने इनको ढूंढ़ने के लिए दो बार मैसेज किए। इसके साथ ही टीमें भी भेजीं पर आधे से ज्यादा के पते गलत निकले तो आधे के मोबाइल नंबर ही गलत थे। कुछ ऐसे भी थे, जिनके पते पर टीमें पहुंच गईं तो वहां कोई मिला ही नहीं। एसीएमओ डॉ. एके कनौजिया भी मानते हैं कि बच्चे सेकेण्ड डोज लगाने के लिए अब जरा भी उत्सुक नहीं दिख रहे हैं। वैसे कुछ न कुछ छूटे बच्चे रोज सेकेंड डोज लगवाने आ रहे हैं पर अधिकतर का कोई अता-पता नहीं है।
निजी अस्पतालों में वैक्सीनेशन
बूस्टर डोज भी फ्री होने के चलते निजी अस्पतालों में वैक्सीनेशन बंद कर दिया गया है। अब तक शहर के छह निजी सेन्टरों में तीन सौ रुपये में वैक्सीन की एक डोज लगाई जा रही थी। सरकारी सेन्टरों में यह फ्री लग रही है। इसलिए निजी सेन्टरों में रोज 25-30 लोग ही आ रहे थे और वैक्सीन बर्बाद हो रही थी। इसलिए निजी सेन्टरों ने गुरुवार से इसे बंद करने का फैसला कर लिया।