आयोग का उद्देश्य दुनिया भर में युद्धों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पेश करना होगा। उनके मुकाबिक यह आयोग युद्ध रोकने के लिए कम से कम पांच साल के लिए एक संधि करने के लिए समझौता करेगा।
मैक्सिकन राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर चाहते हैं कि वैश्विक शांति के लिए एक आयोग का गठन किया जाए जिसमें पीएम मोदी भी शामिल हों। इसके लिए वे संयुक्त राष्ट्र को एक लिखित प्रस्ताव पेश करने की योजना बना रहे हैं। संभावित प्रस्ताव के मुताबिक यह आयोग पांच साल की अवधि के लिए होगा। उन्होंने आयोग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विश्व के तीन नेताओं के नाम प्रस्तावित किए हैं। एमएसएन वेब पोर्टल के मुताबिक ओब्रेडोर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “मैं एक लिखित प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश करूंगा। मैं यह कहता रहा हूं और मुझे उम्मीद है कि मीडिया इसे फैलाने में हमारी मदद करेगा।”
मैक्सिकन राष्ट्रपति ने प्रस्ताव दिया कि शीर्ष आयोग में पोप फ्रांसिस, संयुक्त राष्ट्र महासचिव, एंटोनियो गुटेरेस और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल होना चाहिए। आयोग का उद्देश्य दुनिया भर में युद्धों को रोकने के लिए एक प्रस्ताव पेश करना होगा। उनके मुकाबिक यह आयोग युद्ध रोकने के लिए कम से कम पांच साल के लिए एक संधि करने के लिए समझौता करेगा।
उन्होंने कहा कि किसी भी युद्ध की स्थिति में “वे तीनों मिलेंगे और जल्द ही हर जगह युद्ध को रोकने का प्रस्ताव पेश करेंगे। कम से कम पांच साल के लिए एक संधि करने के लिए किसी समझौते पर पहुंचेंगे। ताकि दुनिया भर की सरकारें अपने लोगों, विशेष रूप से पीड़ित लोगों की मदद करने के लिए खुद को समर्पित कर सकें।”
उन्होंने कहा कि पांच साल के लिए अगर युद्ध रोकने का समझौता होता है तो सरकारें अपने लोगों की मदद के लिए काम कर सकती हैं और कह सकती हैं कि हमारे पास बिना तनाव, बिना हिंसा और शांति के पांच साल हैं।
उन्होंने युद्ध जैसी कार्रवाइयों को समाप्त करने का आह्वान किया। मैक्सिकन राष्ट्रपति ने चीन, रूस और अमेरिका को शांति की तलाश करने के लिए आमंत्रित किया है और आशा व्यक्त की है कि तीनों देश “एक मध्यस्थता के रास्ते को अपनाएंगे और इसे स्वीकार करेंगे जैसा कि हम प्रस्तावित कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “उन्हें बताना होगा कि उनके टकराव के कारण क्या-क्या हुआ है। उन्होंने ही विश्व आर्थिक संकट को जन्म दिया है, उन्होंने मुद्रास्फीति में वृद्धि की है और भोजन की कमी, अधिक गरीबी पैदा की है। सबसे बुरी बात यह है कि एक साल में टकराव के कारण इतने सारे इंसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।”