पुलिस कमिश्नर ने बताया कि घटना के बाद खुद को बचाने के लिए वह उत्तर प्रदेश से बाहर भी भाग गया था, लेकिन पुलिस टीमें ह्यूमन इंटेलिजेंस, टेक्निकल सर्विलांस और अन्य माध्यमों से उसका पीछा करती रहीं।
नोएडा की ग्रैंड ओमैक्स सोसाइटी में एक महिला के साथ गाली-गलौज और हाथापाई करने के मामले में फरार चले आरोपी गालीबाज नेता श्रीकांत त्यागी को आखिरकार नोएडा पुलिस ने मंगलवार को मेरठ में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की पूछताछ में श्रीकांत त्यागी ने दावा किया है कि उसकी कार पर लगाने के लिए यूपी सचिवालय का स्टिकर उसे स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया था।
नोएडा पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पुलिस की 12 टीमों ने लगातार पीछा कर आरोपी को धर दबोचा। आलोक सिंह ने बताया कि एक सूचना के आधार पर नोएडा पुलिस ने त्यागी को मेरठ से तड़के गिरफ्तार किया। उसके साथ मौजूद चार अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि श्रीकांत त्यागी के एक गाड़ी पर ‘विधायक’ का स्टिकर लगा है, उसका कहना है कि यह स्टिकर उसे उसके पुराने राजनीतिक सहयोगी स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया था। हम इस जानकारी की पुष्टि कर रहे हैं। उसके ड्राइवर ने कार की नंबर प्लेट पर यूपी सरकार का चिन्ह पेंट कर दिया था। गैंगस्टर एक्ट के तहत जांच जारी है।
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि घटना के बाद खुद को बचाने के लिए वह उत्तर प्रदेश से बाहर भी भाग गया था, लेकिन पुलिस टीमें ह्यूमन इंटेलिजेंस, टेक्निकल सर्विलांस और अन्य माध्यमों से उसका पीछा करती रहीं और आज सुबह उसे मेरठ में पकड़ लिया गया। उन्होंने बताया कि श्रीकांत त्यागी से गहनता से पूछताछ की जा रही है, उसे फरार रहने के दौरान किस-किस ने शरण दी इस बात की भी जानकारी हासिल की जा रही है।
बता दें कि, पुलिस ने कार्रवाई करते हुए श्रीकांत त्यागी की चार गाड़ियों को सीज किया था। उनमें से एक फॉर्च्यूनर गाड़ी पर विधायक का स्टीकर लगा हुआ मिला था। वहीं एक अन्य गाड़ी की नंबर प्लेट पर यूपी सरकार का लोगो लगा हुआ भी मिला था।
इससे पहले नोएडा पुलिस ने त्यागी को फरार घोषित करते हुए उस पर 25 हजार रुपये के इनाम की भी घोषणा की थी, जिसके बाद त्यागी ने गौतमबुद्ध नगर जिले की एक अदालत में सरेंडर करने के लिए एक याचिका दायर की थी।
गौरतलब है कि श्रीकांत त्यागी खुद को भाजपा नेता बताता था, लेकिन इस घटना के बाद पार्टी ने उससे पल्ला झाड़ते हुए उसे अपना कार्यकर्ता मानने से इनकार कर दिया था।