दिल्ली के बाद भोपाल में भी नेशनल हेराल्ड की प्रॉपर्टी पर नजर, शिवराज के मंत्री ने कही जांच की बात

नेशनल हेराल्ड की प्रॉपर्टी सील होने वाली है। यह जानकारी प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दी है। नेशनल भोपाल में स्थित हेराल्ड बिल्डिंग का कमर्शियल यूज करने वालों की जांच होगी।

दिल्ली के बहुचर्चित नेशनल हेराल्ड दफ्तर को प्रवर्तन निदेशालय ने सील कर दिया है। नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर लगातार कांग्रेस की मुखिया सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ जारी है। ऐसे में इसका असर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देखने को मिला है।

बता दें कि भोपाल में भी नेशनल हेराल्ड की प्रॉपर्टी सील होने वाली है। यह जानकारी प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दी है। उन्होंने कहा कि नेशनल भोपाल में स्थित हेराल्ड बिल्डिंग का कमर्शियल यूज करने वालों की जांच होगी। और जांच करने के बाद प्रॉपर्टी सील की जाएगी। साथ ही इसके अगर प्रॉपर्टी के लैंड यूज में बदलाव मिला तो संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर जगह हड़पी हुई है और उसके बाद संपत्ति अपने नाम पर करा ली उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल राजधानी में स्थित नेशनल हेराल्ड के दफ्तर में विशाल मेगा मार्ट सहित कई कमर्शियल दफ्तर चल रहे हैं।

मंत्री ने आगे कहा कि दिल्ली में नेशनल हेराल्ड की प्रॉपर्टी  सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अपने नाम पर करा ली। जबकि 3000 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर वो जगह दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी नहीं छोड़ा। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट से ना कोई राहत नहीं मिली है। ये लोग जमानत पर छूटे हुए लोग हैं।

दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भी भोपाल में नेशनल हेराल्ड जमीन का मामला उठा था। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि दशकों तक गांधी परिवार ने देश को लूटने का काम किया है। बीजेपी नेता संबित पात्रा ने नेशनल हेराल्ड वाली जगह को देखते हुए कहा था कि यह जो व्यावसायिक इमारत है, वह विराट भ्रष्टाचार का स्मारक है। यह मैं ऐसे ही नहीं कह रहा हूं, बल्कि दस्तावेजों के आधार पर कह रहा हूं।

उन्होंने उस दौरान ये बात कही थी कि देश भर के अलग अलग शहरों में लगभग 5,000 करोड़ रुपए की संपत्ति को भ्रष्टाचार करके सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया ने सस्ते दामों में 2008 में खरीद लिया। जिसका इस्तेमाल व्यावसायिक रूप में किया जा रहा है।

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