बंगाल भाजपा के दावे के मुताबिक उसने लक्ष्य बनाया था कि एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को यहां से 70 वोट मिलेंगे। लेकिन हकीकत में यहां से मुर्म को एक वोट ज्यादा ही मिला है और यह वोट टीएमसी से आया है।
वैसे तो ‘खेला होबे’ की बात पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दोहराती रहती हैं। लेकिन लगता है राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग में पश्चिम बंगाल में भाजपा ‘खेला’ करने में कामयाब रही है। बंगाल भाजपा के दावे के मुताबिक उसने लक्ष्य बनाया था कि एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को यहां से 70 वोट मिलेंगे। लेकिन हकीकत में यहां से मुर्म को एक वोट ज्यादा ही मिला है। भाजपा का कहना है कि यह एक अतिरिक्त वोट टीएमसी की तरफ से आया है, वहीं जो चार वोट इनवैलिड साबित हुए हैं, वह भी टीएमसी के ही हैं। हालांकि टीएमसी की तरफ से भाजपा के इस दावे को गलत बताया गया है।
भाजपा ने यह कहा
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 77 से घटकर 75 रह गई थी। वहीं पांच विधायकों ने भाजपा से इस्तीफा दिए बिना टीएमसी ज्वॉइन कर लिया था। ऐसे में भाजपा आधिकारिक रूप से यहां पर राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए 70 वोट ही मानकर चल रही थी। हालांकि चुनावी नतीजों में देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनी द्रौपदी मुर्मू को पश्चिम बंगाल से 71 वोट मिले हैं। वहीं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को यहां से कुल 216 वोट मिले। पांच वोट अवैध करार दिए गए हैं। इसको लेकर टीएमसी ने भाजपा पर तंज कसा है। भाजपा का दावा है कि उसे अपनी पार्टी के सभी 70 वोट तो मिले ही, साथ ही वह टीएमसी के भी एक वोट में सेंध लगाने में कामयाब रही है। पश्चिम बंगाल में भाजपा विधायक और सदन में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने ट्वीट किया, ‘‘जैसा कि मैंने वादा किया था भाजपा के सभी 70 विधायकों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट दिया है। वहीं टीएमसी के एक विधायक ने क्रॉस वोटिंग की है, जबकि उनके ही चार विधायकों के वोट अवैध घोषित हुए हैं।”
टीएमसी ने खारिज किया दावा
वहीं टीएमसी ने सुवेंदु अधिकारी के इस दावे को सिरे से नकार दिया है। पार्टी के मुताबिक उसके किसी भी विधायक ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोट नहीं किया है। प्रदेश सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम कहते हैं कि यह पूरी तरह से बकवास है। टीएमसी एक परिवार की तरह है और हमारे किसी विधायक ने एनडीए के पक्ष में वोट नहीं किया है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव से एक दिन पहले भाजपा ने अपने सभी 69 विधायकों को कोलकाता के एक होटल में इकट्ठा किया था। वहीं राष्ट्रपति चुनाव के दिन सभी भाजपा विधायक बस से विधानसभा पहुंचे थे और उन्होंने गले में एक आदिवासी उत्तरीय पहन रखा था। विधायकों ने लाइन में लगकर वोट डाले थे।
टीएमसी बोली-भाजपा को डर था
वहीं टीएमसी का आरोप है कि पहली बार प्रदेश में ‘रिसॉर्ट पॉलिटिक्स’ देखने को मिली है। इसके अलावा उसने यह भी दावा किया कि भाजपा को डर था कि उसके कुछ विधायक यशवंत सिन्हा के पक्ष में मतदान कर सकते हैं। इसी डर के नाते उसने अपने विधायकों को होटल में बंद कर दिया था। भाजपा ने सभी 70 विधायकों को मॉक पोल के जरिए के वोट डालने की ट्रेनिंग भी दी थी, ताकि उनका एक भी वोट अवैध न होने पाए। भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि हम एक साथ होटल में रुके, साथ में खाना खाया और बस से एक साथ वोट डालने पहुंचे। यह एक परिवार के जैसा था।
टीएमसी करेगी जांच
वहीं एक टीएमसी नेता ने कहा कि वोटिंग सीक्रेट बैलेट के जरिए हो रही है। इसलिए यह निश्चित नहीं है कि किसी टीएम विधायक ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट डाला है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि उन पांच भाजपा विधायकों में से कोई हो, जिन्हें उन्होंने अपने पक्ष में नहीं गिना था। वहीं टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने कहा कि पार्टी नेतृत्व इस बारे में चर्चा करेगा और जांच भी होगी। निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विस्तार से इसका विश्लेषण किया जाएगा। वहीं चार अवैध वोटों ने भी एक अलग बहस शुरू कर दी है। सुवेंदु अधिकारी का दावा है कि सत्ता पक्ष के कुछ विधायकों ने जान-बूझकर अपने वोट अवैध किए ताकि एनडीए उम्मीदवार को लाभ मिल सके। गौरतलब है कि चुनाव से एक दिन पहले सुवेंदु अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में दावा किया था कि एनडीए कैंडिडेट को 70 से ज्यादा वोट मिलेंगे। उन्होंने कहा कि टीएमसी के 221 वोट, जिनमें वह विधायक भी शामिल हैं, जो भाजपा छोड़े बिना उनके साथ गए हैं, उनके पक्ष में नहीं जाएंगे। वहीं उन्होंने यह भी दावा किया था कि कई वोट अवैध घोषित हो जाएंगे।
राजनीतिक विशेषज्ञों ने दिया श्रेय
इन सबके बीच राजनीतिक विशेषज्ञों ने पश्चिम बंगाल में भाजपा अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए पूरे नंबर दिए हैं। खासतौर पर सत्ता में आने के बाद से जिस तरह टीएमसी लगातार भाजपा विधायकों को अपनी तरफ खींच रही है, उसको देखते हुए विशेषज्ञ इसे बेहद महत्वपूर्ण मान रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ बिश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि जिस तरह से भाजपा ने यहां पर अपने नेताओं को मैनेज किया है, हमें उसे श्रेय देना होगा। उनके मुताबिक इसके पीछे कई फैक्टर्स हैं, एक तो विधायकों को होटल में रखने से पार्टी नेताओं में एकजुटता आई है। वहीं उत्तर प्रदेश में जिस तरह से भाजपा को जीत मिली है, उससे भी नेता अब इस राष्ट्रीय पार्टी के साथ जुड़ने के इच्छुक हो गए हैं। विश्वनाथ के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों के पश्चिम बंगाल में सक्रिय होने के चलते भी भाजपा नेताओं में एक तरह का डर पैदा हुआ है।