एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले को ठाकरे परिवार के लिए बड़ी चोट की तरह देखा गया था। कहा गया था कि भाजपा इसके जरिए शिवसेना में ठाकरे का वर्चस्व कम करने की कोशिश कर रही है।
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित की राजनीति में मेगा एंट्री के आसार हैं। खबर है कि भारतीय जनता पार्टी नया दांव खेलकर शिवसेना के मौजूदा नेतृत्व को चोट देने की तैयारी कर रही है। हालांकि, इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अगर अमित कैबिनेट में शामिल होते हैं, तो यह उद्धव और आदित्य के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
कहीं यह उद्धव से विरासत छीनने की तैयारी तो नहीं?
एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले को ठाकरे परिवार के लिए बड़ी चोट की तरह देखा गया था। कहा गया था कि भाजपा इसके जरिए शिवसेना में ठाकरे का वर्चस्व कम करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में अमित की एंट्री शिवसेना से लेकर सियासी कद के मामले में वारिस माने जाने वाले आदित्य के लिए सीधी चुनौती खड़ी कर सकती है।
खास बात है यह है कि इससे उद्धव के कद पर भी असर पड़ सकता है। पहले ही लगातार शिवसैनिक होने का दावा कर रहे शिंदे, विधायकों से लेकर पार्षदों और कई हिस्सों में कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल कर चुके हैं। अब यह जंग ‘धनुष बाण’ को लेकर भारतीय निर्वाचन आयोग के दरवाजे पर भी पहुंचती दिख रही है। हालांकि, पार्टी का प्रमुख बनने के लिए अभी शिंदे को नाम, चुनाव चिन्ह, सांसद और बचे हुए विधायक, बीएमसी और दूसरे निगम, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, पदाधिकारियों, पार्टी से जुड़े मोर्चे जैसी चीजों पर नियंत्रण हासिल करना जरूरी है।
अमित ठाकरे ने भी शुरू कर दी तैयारियां
जुलाई में एक ओर जहां शिवसेना सत्ता संघर्ष कर रही थी। वहीं, मनसे खुद को फिर से तैयार करने की तैयारी कर रही थी। पार्टी ने ‘महा संपर्क अभियान’ के तहत 5 से 11 जुलाई के बीच कोंकण क्षेत्र का दौरा शुरू कर दिया था, जिसकी अगुवाई महाराष्ट्र नवनिर्माण विद्यार्थी सेना के अध्यक्ष अमित ने की थी। पार्टी ने सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों को कवर करने की योजना बनाई थी।
खास बात है कि मुंबई और ठाणे के बाद कोंकण क्षेत्र को शिवसेना का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन हाल के समय में यहां पार्टी की पकड़ कमजोर होती दिख रही है।ष दरअसल, रत्नागिरी विधायक उदय सामंत, सामंतवाड़ी से विधायक दीपक केसरकर, महाड विधायक भरत सेठ गोगावले और दापोली से योगेश रामदास कदम ने शिंदे कैंप का दामन थाम लिया था।
आदित्य और अमित की सियासी चाल
शिवसेना में बगावत के बीच आदित्य और उद्धव दोनों ही पार्टी को बचाने के लिए मुंबई में सक्रिय थे। आदित्य भी शिवसेना की युवा सेना के अध्यक्ष हैं। एक ओर जहां आदित्य राज्य में कार्यक्रम की योजना बना रहे थे। वहीं, अमित ने अपने अभियान का ऐलान कर दिया था। बहरहाल, अमित का पहली परीक्षा बृह्नमुंबई महानगर पालिका चुनाव में होगी। जबकि, आदित्य वर्ली से विधायक और सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मनसे नेता और पूर्व विधायक नितिन सरदेसाई अमित को ‘भीड़ को आकर्षित करने वाला’ बताते हैं। वह कहते हैं, ‘दिवंगत बालासाहब और राजसाहब ठाकरे बात करने की कला से लोगों को आकर्षित कर सके। अमित अभी भी एक उच्चारण से मराठी में बोलता है और लोगों से जुड़ने के लिए इसे सुधारने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘आदित्य के पीछे रहने का एक बड़ा कारण है कि उनके दोस्त एलीट वर्ग से हैं, जो उन्हें फैंसी आइडिया देते हैं। अमित को इससे सीखना चाहिए और जमीनी स्तर पर नेताओं के साथ होना चाहिए।’ आदित्य की तरह ही अमित भी पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को उठाते रहते हैं।