अगले महीने होने वाला राष्ट्रपति चुनाव अपनी शुरुआत में ही रोमांचक हो गया है.
केंद्र की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके गठबंधन दलों ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर वैसे तो कई क्षेत्रीय दलों के लिए पसोपेश की स्थिति पैदा कर दी है.
लेकिन सबसे बड़ी दुविधा झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के लिए है. कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) उनकी सरकार में शामिल हैं और ये तीनों पार्टियां विपक्षी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की प्रमुख घटक हैं.
लिहाजा, स्वाभाविक तौर पर राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनका समर्थन यूपीए के आधिकारिक प्रत्याशी और झारखंड की हजारीबाग लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे पूर्व नौकरशाह यशवंत सिन्हा को मिलना चाहिए.
इसके बावजूद हेमंत सोरेन के निर्णय को लेकर देशभर की पार्टियों और राष्ट्रीय मीडिया में कौतूहल की स्थिति है, तो इसकी एक बड़ी वजह भी है. ट्विटर पर हमेशा सक्रिय रहने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक कोई ट्वीट नहीं किया है