अजीत पवार वाले एपिसोड से सतर्क है भाजपा! सत्ता से कितने विधायक की दूरी; समझें महाराष्ट्र का समीकरण

दरअसल भाजपा 23 नवंबर, 2019 के उस घटनाक्रम से सतर्क है, जिसमें देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार के समर्थन से शपथ ले ली थी, लेकिन 80 घंटों के अंदर सरकार चली गई थी। आइए जानते हैं सत्ता समीकरण…

Maharashtra Assembly Equation: शिवसेना के सीनियर नेता एकनाथ शिंदे 26 विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में जमे हुए हैं। इसके चलते महाविकास अघाड़ी की सरकार पर संकट छाया हुआ है, लेकिन भाजपा संभलकर खेलने के मूड में है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि क्या भाजपा 23 नवंबर, 2019 के उस घटनाक्रम से सतर्क है, जिसमें देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार के समर्थन से शपथ ले ली थी, लेकिन 80 घंटों के अंदर सरकार चली गई थी। यही वजह है कि भाजपा फिलहाल वेट ऐंड वॉच के मूड में है। खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने भी इंतजार करने की बात कही है। उन्होंने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे 35 विधायकों के साथ चले गए हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भाजपा अविश्वास प्रस्ताव की मांग नहीं करेगी।

महाराष्ट्र के सत्ता समीकरण की बात करें तो एकनाथ शिंदे के पास शिवसेना के 22 विधायक हैं और 4 निर्दलीय विधायकों का भी उन्हें समर्थन है। इस तरह उद्धव ठाकरे सरकार के 26 विधायक कम हो गए हैं। लेकिन इसके बाद भी भाजपा की चाल चलती नहीं दिख रही है। भाजपा को सरकार बनाने के लिए यह जरूरी है कि एकनाथ शिंदे 37 विधायकों के साथ अलग हों ताकि उन पर दलबदल का कानून लागू न हो। 288 विधानसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में फिलहाल 287 विधायक ही हैं। इनमें से दो नवाब मलिक और अनिल देशमुख जेल में हैं। इस तरह कुल संख्या बल 285 ही रह जाता है। ऐसी स्थिति में भाजपा को सरकार बनाने के लिए 143 सीटों की जरूरत है।

भाजपा के पास अपने 106 विधायक हैं और 4 निर्दलीय उसके साथ हैं। इस तरह उसकी ताकत 110 हो जाती है, लेकिन शिवसेना के 22 विधायक उसके साथ नहीं आ सकते क्योंकि दल-बदल कानून लागू होने से उनकी सदस्यता ही समाप्त हो जाएगी। वहीं सदस्यता नहीं भी रद्द होती तो जरूरत 33 विधायकों की है। ऐसी स्थिति में साफ है कि भले ही शिवसेना की ताकत कम होती दिख रही है, लेकिन इससे भाजपा को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में साफ है कि भाजपा तभी सरकार बना सकती है, जब 37 विधायक एकनाथ शिंदे की लीडरशिप में शिवसेना छोड़कर उसके साथ आएं। फिलहाल इतने नंबर एकनाथ शिंदे के साथ नहीं दिख रहे हैं।

यूं तो कांग्रेस में भी बगावत की खबरें हैं और कहा जा रहा है कि 10 विधायकों से लीडरशिप की संपर्क नहीं हो पा रहा है। लेकिन यहां भी भाजपा फंसती दिख रही है। यदि वह कांग्रेस के 29 से कम विधायक तोड़ पाती है तो फिर दल-बदल कानून लागू होगा और ऐसी स्थिति में यहां भी उसका प्लान फेल हो जाएगा। यही एक कारण है कि भाजपा सतर्कता के साथ कदम उठा रही है।

महाराष्ट्र का सत्ता समीकरण

कुल सदस्य – 288

भाजपा- 106
शिवसेना- 55
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी- 52
कांग्रेस- 44
अन्य और निर्दलीय- 30

शिंदे की बगावत से पहले कितनी मजबूत थी ठाकरे सरकार

शिंदे की बगावत से पहले ठाकरे सरकार को 169 विधायकों का समर्थन प्राप्त था। शिवसेना के 55, राकांपा के 52 और कांग्रेस के 44 विधायक थे। इसके अलावा समाजवादी पार्टी के 2, पीजेपी के 2 और बीवीए के 3 निर्दलीय विधायक थे। शिंदे के पास फिलहाल 22 विधायक हैं। साथ में 4 अन्य। भाजपा के पास 106 विधायक और 113 विधायक हैं।

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