Panna Tiger Reserve: पन्ना के जंगल को आबाद करने वाले पहले बाघ ने कहा दुनिया को अलविदा

मैं पन्ना टाइगर रिजर्व हूं। एक दुखद खबर दे रहा हूं। मुझे आबाद करने वाला पी-111 बाघ अब नहीं रहा। सन् 2009 से पहले का वो वक्त कैसे भूल सकता हूं, जब मैं उजाड़ हो चुका था। मार्च 2009 में यहां बांधवगढ़ की टी-1 बाघिन और पेंच के टी-3 बाघ को लाया गया था। जल्द ही मेरे दामन में उनके प्यार की कहानी पल्लवित होने लगी, खुशबू बिखेरने लगी। अगले ही साल की 16 अप्रैल की तारीख मुझे आज भी याद है, जब तुमने जन्म लिया था। नाम रखा गया था पी-111। तब से अब तक करीब 12 साल में तुमने और तुम्हारे वंशंजों ने वाकई मुझे बाघों का हीरा बना दिया। गुरुवार को तुम्हारी अकस्मात मौत की खबर ने मुझे हिला दिया है। तुम मेरे पहले बेटे ही तो थे।

मैं जब 2009 में बाघ विहीन हो गया था, तब यहां सरकार ने बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की। तब बांधवगढ़ से लाई गई बाघिन टी-1 और पेंच टाइगर रिजर्व से लाए गए नर बाघ टी-3 से 16 अप्रैल 2010 की रात धुंधुआ सेहा में चार शावक जन्मे थे। इनमें पहला तुम्हीं तो थे, पी-111। तुम्हारा डील-डौल व कद सबसे बड़ा था। बाघों के वंश को बढ़ाने में तुमने ही तआ की। टाइगर रिजर्व के बड़े इलाके में तुम्हारा साम्राज्य रहा। तुमने बाघिन पी-213, पी-234 व टी-2 सहित अन्य कई के साथ अपनी जोड़ी बनाई।

जल्द ही कायम कर लिया था अपना साम्राज्य

 

पी-111, करीब 18 माह तक अपनी मां बाघिन टी-1 के साथ रहने के दौरान तुमने श‍िकार में महारत हासिल की। फिर तुमने अपना अलग इलाका बनाया। कुछ ही दिन में पिता टी-3 के इलाके तालगांव पठार पर कब्जा जमाया। तुम्हारे दबदबे का ही आलम था कि पिता को भी पठार छोड़ना पड़ा। कुछ दिन पहले तक तुम्हें पन्ना के कोर क्षेत्र व अकोला बफर के जंगल में स्वच्छंद रूप से विचरण करता अक्सर देखा जाता था। पी-111, वह तुम्हीं तो थे, जिसकी एक झलक पाने को पर्यटक बेताब रहते थे। कई तो तुम्हे देखने के लिए कई दिन रुक जाया करते थे। अब उन्हें कहां देखने को मिलेगी, वो तुम्हारी मदमस्त चाल।

हर साल जन्मदिन मनाते थे मूर्ति

 

मेरे दामन में बाघों की दहाड़ गूंजने के पीछे उस समय के क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति और उनकी टीम की मेहनत रही। उन्होंने ही हर साल तुम्हारे जन्मदिन को मनाने की शुरुआत की। इस साल भी मूर्ति साहब आए थे। खूब धूमधाम से तुम्हारा जन्मदिन मनाया था। आज चेन्न्ई से मोबाइल पर उन्होंने बात की तो भावुक हो गए। वे कहते हैं, तुम जहां भी रहो, अमर रहो। पी-111, पन्ना टाइगर रिजर्व का प्रतीक था, यानी मेरा।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार

 

क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं, पी-111 का शव मुख्य मार्ग पर सड़क के किनारे मिला। पोस्टमार्टम से पता चला है कि उसकी किडनी फेल हो चुकी थी। फिलहाल उसके अवयव जांच के लिए बरेली, सागर व जबलपुर भेजे जा रहे हैं। रिपोर्ट आने पर ही मौत की असली वजह पता चलेगी।

 पन्ना टाइगर रिजर्व में गुरुवार की सुबह बाघ पी-111 की मौत के बाद शाम को एक और दुखद सूचना आई। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि शाम लगभग 6.30 बजे सूचना मिली कि अकोला बफर क्षेत्र में बाघिन टी-234 के चार माह के शावक को किसी बाघ ने हमला कर मार दिया है। बाघिन के तीन शावक थे, जिनमें से अब दो ही बचे हैं। शुक्रवार सुबह अधिकारियों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम के बाद श्ाावक का दाह संस्कार किया जाएगा।

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