उत्तर प्रदेश के लोकसभा उपचुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं उतारेगी। पार्टी ने कहा है कि वह साल 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर स्वयं का पुनर्निर्माण करेगी, जिससे कि 2024 के आम चुनाव में स्वयं को एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश कर सके।
लोकसभा चुनाव में विफलता
साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जब प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया गया था, तब उनसे कहा गया था कि वे लोकसभा को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि साल 2022 के विधानसभा के लिए यूपी में काम करें। निचले स्तर पर संगठन को मजबूत करें लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। अकेले प्रियंका गांधी तीन सालों से यूपी में काफी ऐक्टिव थीं। वह प्रदेश के अंदरूनी हिस्सों में लगातार दौरे कर रही थीं। इन सबके बावजूद कांग्रेस न तो साल 2019 के लोकसभा में ही कुछ बेहतर कर पाई और न उससे विधानसभा चुनाव में ही कुछ कमाल हो पाया।
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रदेश में ऐसे बुरे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के पुनर्निर्माण का सवाल तो है लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह संभव कैसे होगा? कांग्रेस पार्टी के पास केंद्रीय से लेकर प्रादेशिक स्तर तक पर कोई स्थायी नेतृत्व नहीं है। उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने चुनाव में करारी हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद से प्रदेश में नए प्रमुख की नियुक्ति नहीं हो पाई है। चुनाव के बाद प्रदेश में प्रियंका गांधी की सक्रियता में भी कमी आई है।