सामना के मुताबिक, “यह अखबार देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए शुरू किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना था। नेहरू ने इस अखबार को वर्ष 1937 में शुरू किया था।”
प्रवर्तन निदेशालय (ED) नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को तलब किए जाने पर शिवसेना ने केंद्र सरकार पर तंज कसा है। पार्टी ने सामना के जरिए पूछा कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भी समन जारी किया जाएगा। संपादकीय में शिवसेना ने कहा, “पंडित नेहरू द्वारा शुरू किए गए नेशनल हेराल्ड का राजनीतिक महत्व बहुत पहले ही अपना महत्व खो चुका है, लेकिन इस पर राजनीति अभी भी जारी है।”
सामना के मुताबिक, “यह अखबार देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए शुरू किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों को देश से बाहर निकालना था। नेहरू ने इस अखबार को वर्ष 1937 में शुरू किया था। उस समय नेहरू, महात्मा गांधी और सरदार पटेल इसके मुख्य स्तंभ थे। द हेराल्ड उस समय स्वतंत्रता संग्राम के मुखर प्रवक्ता के रूप में लोकप्रिय था। इस मामले को अब ज्यादा महत्व देने की जरूरत नहीं है।”
‘मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस और सैम पित्रोदा भी थे आरोपी’
शिवसेना के मुखपत्र ने कहा, “सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया कि एक कंपनी 50 लाख रुपये के बजाय 2000 करोड़ रुपये का मालिक बन गई, जिसका कोई व्यवसाय नहीं था। मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा को भी इस कंपनी के अन्य निदेशकों में आरोपी बनाया गया था, लेकिन सोनिया और राहुल सुर्खियों में रहे। इस पूरे मामले में कहीं भी मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हुई। फिर भी, ईडी ने इसमें दखल दिया।”
संपादकीय में आगे कहा गया है, “नेशनल हेराल्ड मामले में लेन-देन कर्ज चुकाने के लिए किया गया था, कदाचार के लिए नहीं। इस पूरे मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आरोपी बनाया गया है। क्या नेहरू के नाम पर भी समन जारी होंगे और उनके स्मारक पर चिपकाए जाएंगे? पंडित नेहरू को ईडी और सीबीआई से नोटिस मिलने के बाद ही कुछ आत्माएं शांत होंगी।”