दिव्या पांडे की बड़ी बहन प्रियदर्शनी पांडे ने कहा कि उनकी बहन को उत्तर प्रदेश में रहने वाली उनकी दोस्त ने सूचित किया था कि उन्होंने यूपीएससी में 323वीं रैंक हासिल की है.
रामगढ़:
कहते हैं सुनी हुई बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए जब तक उसे खुद देखा ना हो. लेकिन कई बार लोग ऐसी गलती करते हैं और फिर शर्मिंदा होते हैं. ऐस ही हुआ है झारखंड की रहने वाली 24 साल की दिव्या के साथ, जिन्होंने बीते दिनों यूपीएससी की परीक्षा में सफलता पाने का दावा किया था. हालांकि, अब उनके परिवार की ओर से कहा गया है कि दिव्या पांडेय नहीं बल्कि दक्षिण भारत की रहने वाली किसी दिव्या पी ने परीक्षा पास की है, जिसे अपनी बेटी समझ कर वे जश्न मना रहे थे.
पहले अटेंप्ट में सिविल सेवा परीक्षा पास की
दिव्या पांडे के परिवार ने दावा किया था कि उनकी बेटी ने पहले अटेंप्ट में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की है. लेकिन शुक्रवार को उन्होंने जिला प्रशासन और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) से माफी मांगी. चूंकि, उनके इस दावे के बाद दोनों ने दिव्या को सम्मानित किया था. साथ ही साथ मीडिया ने बड़े प्राथमिकता से खबर चलाई थी. परिजनों ने सफलता की गलत जानकारी देने के संबंध में कहा कि अनजाने में गलती हुई थी.
दिव्या पांडे (24) की ओर से माफी मांगते हुए, उनके परिवार के सदस्यों के साथ-साथ उनके पड़ोसियों ने कहा कि यह वास्तव में दक्षिण भारत की दिव्या पी हैं, न कि दिव्या पांडे जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 323 वीं रैंक हासिल की है.
दोस्त में फोन कर दी थी जानकारी
दिव्या पांडे की बड़ी बहन प्रियदर्शनी पांडे ने कहा कि उनकी बहन को उत्तर प्रदेश में रहने वाली उनकी दोस्त ने सूचित किया था कि उन्होंने यूपीएससी में 323वीं रैंक हासिल की है. इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की वेबसाइट पर रिजल्ट देखने की कोशिश की. लेकिन इंटरनेट काम नहीं कर रहा था, जिस कारण उन्होंने खुद से रिजल्ट नहीं देखा और उसकी बात पर भरोसा कर घोषणा कर दी. ये एक अनजाने में हुई गलती थी.
परिजनों ने गलती के लिए माफी मांगी
पूरे मामले में परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि फर्जी खबर या झूठे दावे फैलाने का कोई इरादा नहीं था. उन्होंने कहा कि सच्चाई का पता लगने के बाद, झारखंड के रामगढ़ जिले के चित्तरपुर ब्लॉक के रजरप्पा कॉलोनी की रहने वाली दिव्या दिल्ली के लिए रवाना हो गई है. उन्होंने कहा, “हम इस गलती के लिए माफी मांगते हैं.”
बता दें कि दिव्या, जिन्होंने 2017 में रांची विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया था, ने दावा किया था: ” मैंने रोजाना लगभग 18 घंटे पढ़ाई की और एनसीईआरटी की बहुत सारी किताबें पढ़ीं, जिस कारण मुझे पहले अटेंप्ट में सफालता हासिल हुई.” फिलहाल रामगढ़ के अधिकारियों ने इस संबंध में लड़की या उसके परिवार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. पुलिस का कहना है कि ये मानवीय भूल है.