केंद्रीय खाद्य एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद कुछ व्यापारियों ने गलत दस्तावेजों के सहारे निर्यात करने की कोशिश की है। गेहूं निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले ऐसे निर्यातकों की जांच शुरू कर दी गई है। जांच में दोषी पाए जाने वाले ऐसे व्यापारियों को कड़ा दंड दिया जाएगा। निर्यातकों की इन गतिविधियों को खाद्य सुरक्षा के साथ खिलवाड़ माना जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि गलत दस्तावेजों के सहारे धोखाधड़ी करने वालों पर लगाम कसने की तैयारियों के तहत गहन जांच पड़ताल शुरु कर दी गई है। गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध और उसके बाद की स्थितियों पर पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि वैश्विक बाजार में गेहूं की बढ़ती मांग के मद्देनजर निर्यात में वृद्धि हुई है।
गोयल ने कहा कि पिछले साल 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया था, जबकि इसके पहले वाले वर्ष में मात्र 20 लाख टन गेहूं निर्यात किया जा सकता था। वैश्विक बाजार में भारतीय गेहूं की हिस्सेदारी मात्र दो ढाई फीसद तक सीमित है। इसके बावजूद वैश्विक स्तर पर भारत के फैसले पर बेवजह का विवाद खड़ा किया गया। लेकिन भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी को अपनी स्थितियों के बारे में स्पष्ट जानकारी देकर संतुष्ट कर दिया है।
भारत ने गेहूं निर्यात पर 13 मई 2022 को प्रतिबंधित कर दिया था, जिसके बाद से अब तक कुल 15.50 लाख टन गेहूं का निर्यात किया गया है। गेहूं निर्यात की अनुमति केवल उन्हें ही दी गई है, जो निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं। भारत उन देशों को गेहूं देने के लिए स्वतंत्र है, जिनकी खाद्य सुरक्षा खतरे में है और उन्होंने भारत से गेहूं आयात के लिए आग्रह किया है।
बताया गया कि विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 19 मई को निर्देश जारी कर निर्यातकों को नियमों पर कड़ाई की चेतावनी जारी कर दी थी। इसके बावजूद फर्जीवाड़ा कर कई निर्यातकों ने पिछली तारीखों के साख पत्र जमा करा रहे हैं। कुछ व्यापारियों ने पिछली तारीखों में एडवांस में भुगतान की रसीदें भी जमा कराई हैं। इस तरह की शिकायतों को देखते हुए वाणिज्य व खाद्य मंत्री गोयल ने कहा कि ऐसे गलत लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। एजेंसियां ऐसे लोगों की जांच कर रही हैं।