देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द रविवार सुबह हेलीकाप्टर से उज्जैन पहुंंचे। उन्होंने कालिदास अकादमी के पंडित सूर्यनारायण व्यास संकुल में अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59वें अधिवेशन का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति महाकालेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करने पहुंचे। जहां उन्हाेंने सपत्नी विधिविधान से भाेलेनाथ की पूजा अर्चना की। इस दाैरान सीएम शिवराज सिंह चाैहान भी पत्नी साधना सिंह के साथ माैजूद थे।
माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी ने कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन में आयोजित अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59वें महाधिवेशन में शासकीय धन्वन्तरि आयुर्वेद महाविद्यालय उज्जैन के नवीन भवन का वर्चुअल लोकार्पण किया।
वहीं अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59 वें अधिवेशन काे संबाेधित करते हुए
राष्ट्रपति ने कहा कि उज्जैन ऐसा शहर है जिसका प्राचीन इतिहास है, मेरी भी इससे अनेक स्मृतियां जुड़ी हैं। कई साल पहले काफी लंबे समय मैं यहां रहा, यहां की गलियों से मैं वाकिफ हूं। भारत गांवों का देश है और उनमें प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आज भी आयुर्वेद है। उन्होंने उज्जैन से जुड़ी विभूतियों का जिक्र करते हुए कहा कि सम्राट विक्रमादित्य और महाकवि कालिदास की यह नगरी है। इस भूमि को मैं बार-बार नमन करता हूं। उम्मीद है आयुर्वेद सम्मेलन के परिणाम देश और दुनिया के लिए लाभदायक साबित होंगे।
उन्होंने कहा कि आज गुणवत्ता, शोध और अनुसंधान का समय है। हमारे सामने अनेक चुनौतियां हैं उम्मीद है सब मिलकर इसे स्वीकारेंगे और प्रगति करेंगे। आहार, दिनचर्या ओर रितुचर्या के बारे में आयुर्वेद में ही बताया जाता है।इस क्षेत्र के लोगों से अपेक्षा है कि जन सामान्य में आयुर्वेद के प्रति जागरुकता बढ़ाई जाए। ऐसे लोग तैयार करें तो उपचार में योगदान दे सकें। लोगों को उपचार के लिए अनुसंधान निरंतर जारी रहे। सुखी जीवन का परम ध्येय बेतहर स्वास्थ्य है इसे सर्वोपरि रखना चाहिये।
अपने संबोधन में सीएम शिवराज ने कहा कि मैं महाकाल की पवित्र धरती पर राज्य की जनता की ओर से राष्ट्रपतिजी का स्वागत करता हूं। उन्होंने राज्यपाल का भी स्वागत किया। यहां त्रिवेणी संगम है और महामहिम पवित्र कार्य के लिए पधारे हैं। यह अनादि काल से ज्ञान, वैराग्य की धरती है और यहां से लोक सेवा की प्रेरणा मिलती है।
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही रोगों के उपचार में आयुर्वेद की अहम भूमिका रही है। कोविड के खिलाफ लड़ाई में हमारी प्राचीन उपचार पद्धतियां कारगर रही हैं। भारत में आयुर्वेद का विकास लाभकारी और आशाओं का केंद्र है। आज इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अनुरूप मान्यता की जरूरत है।