दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में अपना पालतू कुत्ता घुमाने को लेकर चर्चा में आए IAS अफसर संजीव खिरवार और उनकी पत्नी रिंकू दुग्गा पर गाज गिरी है। केंद्र सरकार ने दंपती का तबालदा अलग-अलग कर दिया है। खिरवार को लद्दाख और उनकी पत्नी को अरुणाचल प्रदेश ट्रांसफर किया गया है।
प्रमुख संवाददाता, नई दिल्लीः त्यागराज स्टेडियम में वॉक करने और अपने कुत्ते को घुमाने के लिए एथलीटों को जल्दी निकलवा कर स्टेडियम को पूरी तरह खाली करवा देने वाले आईएएस अफसर संजीव खिरवार गुरुवार सुबह अचानाक चर्चा में आए और शाम तक उनपर गाज गिर गई। गृह मंत्रालय ने देर शाम को आदेश जारी करके खिरवार का तबादला कर उन्हें लद्दाख भेज दिया है, वहीं उनकी पत्नी आईएएस अधिकारी रिकू दुग्गा को अरुणाचल प्रदेश भेज दिया गया है। दोनों 1994 बैच के जॉइंट यूटी काडर के अधिकारी हैं। खिरवार दिल्ली सरकार में प्रिंसिपल सेकेट्री (रेवेन्यू) के पद पर तैनात थे।
स्टेडियम खाली कराने की पुष्टि बच्चों ने भी की
स्टेडियम खाली कराने की पुष्टि यहां कोचिंग लेने वाले बच्चों ने भी की है। यहां कोचिंग लेने वाले बच्चों ने कहा कि उन्हें 7 बजे तक हर हाल में स्टेडियम खाली करने के लिए सिक्योरिटी गार्ड कहते थे। इससे ट्रेनिंग के लिए उन्हें पर्याप्त समय ही नहीं मिल पाता। फुल ट्रेनिंग के लिए कम से कम 3 या 4 घंटे चाहिए होते हैं। इसके लिए उन्हें समय से पहले धूप में ही स्टेडियम पहुंचना पड़ता था।
स्टेडियम खाली कराने की पुष्टि यहां कोचिंग लेने वाले बच्चों ने भी की है। यहां कोचिंग लेने वाले बच्चों ने कहा कि उन्हें 7 बजे तक हर हाल में स्टेडियम खाली करने के लिए सिक्योरिटी गार्ड कहते थे। इससे ट्रेनिंग के लिए उन्हें पर्याप्त समय ही नहीं मिल पाता। फुल ट्रेनिंग के लिए कम से कम 3 या 4 घंटे चाहिए होते हैं। इसके लिए उन्हें समय से पहले धूप में ही स्टेडियम पहुंचना पड़ता था।
फरीदाबाद के रहने वाले सुमीत त्यागराज स्टेडियम में कबड्डी की कोचिंग लेते हैं। ट्रेनिंग की टाइमिंग 4-6 बजे तक है। उनका कहना है कि फुल ट्रेनिंग के लिए 2 घंटे का वक्त काफी नहीं है। कबड्डी की बारीकियों को सीखना, उसका अभ्यास करना और रनिंग के लिए कम से कम 3 या 4 घंटे का वक्त चाहिए। लेकिन स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए सिर्फ 2-3 घंटे ही मिल पाते हैं। शाम 7 बजे के बाद सिक्योरिटी गार्ड कोच को और उन्हें ट्रेनिंग बंद करने के लिए कह देते हैं। इसलिए पिछले कई दिनों से वह कड़ी धूप में ही जल्दी स्टेडियम पहुंच जाते हैं, ताकि ट्रेनिंग के लिए उन्हें अधिक वक्त मिल सके।
सिक्योरिटी गार्ड 7 बजे ही स्टेडियम खाली करा देते थे
निजामुद्दीन की रहने वालीं शीबा का कहना है कि वह वॉलीबॉल और जूडो की ट्रेनिंग यहां लेती हैं। कुछ हफ्ते पहले ही उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की है। पहले ट्रेनिंग के लिए समय की कोई पाबंदी नहीं थी। दो घंटे के बजाय बच्चे 3-4 घंटे ट्रेनिंग करते थे और कोच भी उनके साथ ही रहते थे। कई बच्चे तो 8-8.30 बजे तक भी ट्रेनिंग करते नजर आते थे। लेकिन पिछले कुछ समय से सिक्योरिटी गार्ड 7 बजे ही स्टेडियम खाली करने के लिए कह देते हैं। जिसे अधिक देर तक प्रैक्टिस करनी होती है, उसे शाम 4 बजे की बजाय दोपहर में ढाई या 3 बजे ही कड़ी धूप में आना पड़ता है।
निजामुद्दीन की रहने वालीं शीबा का कहना है कि वह वॉलीबॉल और जूडो की ट्रेनिंग यहां लेती हैं। कुछ हफ्ते पहले ही उन्होंने ट्रेनिंग शुरू की है। पहले ट्रेनिंग के लिए समय की कोई पाबंदी नहीं थी। दो घंटे के बजाय बच्चे 3-4 घंटे ट्रेनिंग करते थे और कोच भी उनके साथ ही रहते थे। कई बच्चे तो 8-8.30 बजे तक भी ट्रेनिंग करते नजर आते थे। लेकिन पिछले कुछ समय से सिक्योरिटी गार्ड 7 बजे ही स्टेडियम खाली करने के लिए कह देते हैं। जिसे अधिक देर तक प्रैक्टिस करनी होती है, उसे शाम 4 बजे की बजाय दोपहर में ढाई या 3 बजे ही कड़ी धूप में आना पड़ता है।