नई दिल्ली: खाना पकाने के कुछ तेलों (Cooking Oil) पर केंद्र सरकार ने आयात शुल्क (Import Duty) खत्म कर दिया है। कारोबारियों के मुताबिक सरकार के इस फैसले से इंपोर्टेड सोयाबीन तेल (Imported Soybean Oil) पांच से छह रुपये प्रति लीटर तक सस्ता हो सकता है। हालांकि, इसमें भी पेंच है। उनका कहना है कि ऐसा तभी होगा जबकि विदेशी बाजार (Foreign Market) में यह तेल उसी भाव बिकेगा, जिस भाव पर पहले बिका करता था। आमतौर पर देखा गया है कि खाद्य तेल का दाम (Edible Oil Price) कम करने के लिए भारत सरकार ड्यूटी घटाती है तो इसे निर्यात करने वाले देश महंगा कर देते हैं।
सरकार का क्या है फैसला
केंद्र सरकार ने कल ही क्रूड सोयाबीन तेल (Crude Soyabean Oil) और क्रूड सूरजमुखी तेल (Crude Sunflower Oil) को लेकर एक बड़ा फैसला किया था। सरकार ने इन तेलों के आयात पर कस्टम ड्यूटी (Customs Duty) और एग्रिकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (Agriculture Infrastructure and Development Cess) से छूट दे दी है। इस फैसले से पहले इन कमोडिटी पर 5.5 फीसदी का शुल्क लग रहा था।
ड्यूटी फ्री ऑयल कितना आएगा इस फैसले से?
सरकार के इस फैसले के तहत अगले दो साल तक दोनों तेलों के 20-20 लाख टन के आयात की इजाजत दे दी है। मतलब कि हर साल 40 लाख टन क्रूड ऑयल का आयात शुल्क मुक्त हो सकेगा। इसमें सोयाबीन तेल की अधिकतम हिस्सेदारी 20 लाख टन प्रति वर्ष की होगी। शेष हिस्सेदारी सूर्यमुखी के तेल की है। जानकारों का कहना है कि खाना पकाने के तेल की कीमतें काबू में करने के लिए यह जरूरी फैसला है, क्योंकि अभी देश में खाने के तेल की बढ़ी कीमतों से लोग काफी परेशान हैं।
घरेलू बाजार में कितना सस्ता होगा तेल
खाद्य तेल क्षेत्र की शीर्ष संस्था सेंट्रल आर्गनाइजेशन ऑफ ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (COOIT) के अध्यक्ष सुरेश नागपाल का कहना है कि यदि विदेशी बाजार में क्रूड सोयाबीन ऑयल और क्रूड सनफ्लावर ऑयल की कीमतें यथावत रही तो निश्चित रूप से कीमतें घटेंगी। कितनी घटेंगी कीमतें, इस पर उनका कहना है कि प्रति लीटर छह रुपये तक कीमतें नरम होंगी।
अक्टूबर-नवंबर में और घटेंगी कीमत
देश में सोयाबीन की नई फसल अक्टूबर-नवंबर तक आती है। उससे पहले यदि 40 लाख टन खाद्य तेलों का शुल्क मुक्त आयात होगा तो इससे कीमतें काबू में रहेंगी। 40 लाख टन का मतलब है कि हर महीने 3.7 लाख टन सोयाबीन और सूर्यमुखी के तेलों का शुल्क मुक्त आयात होगा। इसके अलावा हर महीने करीब 3.5 लाख टन घरेलू सरसों का तेल भी बाजार में आ रहा है। इससे भी दाम काबू में रखने में काफी हद तक मदद मिलेगी। घरेलू क्रॉप आने के बाद इसकी कीमतें और घटेंगी।
विदेशी बाजारों की चाल पर करेगा निर्भर
नागपाल के मुताबिक शुल्क में कटौती का भारत को लाभ तभी मिलेगा, जबकि वेदशी बाजारों में खाद्य तेलों की कीमत नहीं बढ़े। अभी तक तो यही देखा गया है कि कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ड्यूटी घटाती है तो उधर निर्यातक देश इसका दाम बढ़ा देता है। पिछले साल खाद्य तेलों पर 37.5 फीसदी की ड्यूटी होती थी। इसे घटा कर सरकार ने पांच फीसदी कर दी। लेकिन घरेलू बाजार में तेल सस्ते नहीं हुए क्योंकि मलेशिया ने एक्सपोर्ट होने वाले तेल पर 8 फीसदी की ड्यूटी लगा दी। इसी तरह इंडोनेशिया ने भी प्रति टन 575 डॉलर की ड्यूटी लगा दी थी।
इस बार भी कुछ उसी तरह का सीन
भारत सरकार ने कल रात में दो तेलों पर ड्यूटी खत्म करने की अधिसूचना जारी की। लेकिन इससे पहले ही खबर तेल के कारोबारियों तक पहुंच गई थी। तभी तो कल शाम में ही मलेशिया एक्सचेंज में खाद्य तेलों के दाम में 3.25 प्रतिशत की तेजी दिखी थी। वहां खाद्य तेल के दाम में प्रति टन 80 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी दिखी। इसी तरह शिकागो एक्सचेंज में भी लगभग एक प्रतिशत की तेजी दिखी थी। यदि इसी तरह तेजी कायम रही तो घरेलू बाजार में मामूली कमी आने की संभावना है। दूसरी ओर, इससे देश को राजस्व का नुकसान ही होगा।