बीपीसीएल की आंशिक बिक्री भी इस वित्तीय वर्ष में पूरी होने की संभावना नहीं है क्योंकि इस प्रक्रिया में 12 महीने से अधिक का समय लगेगा। बता दें कि बीपीसीएल में सरकार की 52.98% हिस्सेदारी है।
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की शेयर बाजार में खराब शुरुआत के बाद अब सरकार सतर्क नजर आ रही है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक सरकार भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) में समूची हिस्सेदारी नहीं बेचेगी। रिपोर्ट में सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि सरकार BPCL में 20-25 फीसदी तक की हिस्सेदारी बेच सकती है। इसके लिए बोलियां आमंत्रित करने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, अभी बातचीत शुरुआती चरण में है।
बेचनी थी समूची हिस्सेदारी: अब तक सरकार ने अपनी समूची हिस्सेदारी 52.98% बेचकर 8 से 10 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए बोलियां भी आमंत्रित कर दी गई थीं। कोरोना की वजह से विनिवेश की प्रक्रिया धीमी थी।
बीपीसीएल के लिए तीन रुचि पत्र (ईओआई) मिले। इनमें से एक पेशकश उद्योगपति अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता समूह की ओर से आई है। वेदांता के अलावा निजी इक्विटी कंपनियां अपोलो ग्लोबल और आई स्कावयर्ड की पूंजीगत इकाई थिंक गैस शामिल हैं।
हालांकि, बीपीसीएल की आंशिक बिक्री भी इस वित्तीय वर्ष में पूरी होने की संभावना नहीं है क्योंकि इस प्रक्रिया में 12 महीने से अधिक का समय लगेगा। बहरहाल, बीपीसीएल की पूर्ण हिस्सेदारी बिक्री पर पीछे हटना सरकार की निजीकरण योजनाओं में धीमी प्रगति का प्रतीक है। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2020 में बैंकों, खनन कंपनियों और बीमा कंपनियों सहित अधिकांश सरकारी कंपनियों के निजीकरण की योजना की घोषणा की। हालांकि, यह संभव नहीं हो सका।
LIC का बुरा हश्र: मंगलवार को शेयर बाजार में एलआईसी का बुरा हश्र हुआ। शेयर बाजार में एलआईसी की लिस्टिंग इश्यू प्राइस पर आठ प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ हुई। बीएसई पर कंपनी का शेयर 949 रुपये के इश्यू प्राइस के मुकाबले 872 रुपये प्रति शेयर के भाव पर सूचीबद्ध हुआ। वहीं एनएसई पर एलआईसी के शेयर 867.20 रुपये पर सूचीबद्ध हुए। यह इश्यू प्राइस से 77 रुपये कम है।