गुजरात में पाटीदार आंदोलन से उभरे हार्दिक पटेल ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया.
हार्दिक पटेल साल 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. पार्टी छोड़ने से पहले 28 वर्षीय पटेल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी ट्विटर पर पोस्ट की.
उन्होंने ट्वीट किया, “आज मैं हिम्मत करके कांग्रेस पार्टी के पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा देता हूँ. मुझे विश्वास है कि मेरे इस निर्णय का स्वागत मेरा हर साथी और गुजरात की जनता करेगी. मैं मानता हूं कि मेरे इस क़दम के बाद मैं भविष्य में गुजरात के लिए सच में सकारात्मक रूप से कार्य कर पाऊँगा.”
अपने त्यागपत्र में हार्दिक पटेल ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए हैं और नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए हैं.
उन्होंने लिखा है कि “कांग्रेस पार्टी सिर्फ़ विरोध की राजनीति तक सिमट कर रह गई है, जबकि देश के लोगों को विरोध नहीं एक ऐसा विकल्प चाहिए, जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो.”
इस्तीफे में क्या कहा है
हार्दिक पटेल ने बिना किसी का नाम लिए हुए चिट्ठी में लिखा है, “कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में किसी भी मुद्दे के प्रति गंभीरता की कमी एक बड़ा मुद्दा है. मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज़्यादा अपने मोबाइल और बाक़ी चीज़ों पर रहा. जब भी देश संकट में था अथवा कांग्रेस को नेतृत्व की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी तो हमारे नेता विदेश में थे.”
सोनिया गांधी को संबोधित इस पत्र में पटेल ने दावा किया है कि कांग्रेस को सही दिशा में आगे बढ़ाने की कई कोशिशों के बावजूद पार्टी लगातार देश और समाज के ख़िलाफ़ काम करती रही है.
“इसलिए, मैं आपका ध्यान कुछ प्रमुख मुद्दों की ओर आकर्षित करना चाहूंगा…. पिछले तीन साल में मैंने ये पाया कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ़ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है जबकि देश के लोगों को विरोध नहीं, एक ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो, देश को आगे ले जाने की क्षमता रखता हो. अयोध्या में राम मंदिर हो, सीए-एनआरसी का मुद्दा हो, जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हो या फिर जीएसटी लागू करने जैसा निर्णय हो, देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी सिर्फ़ इसमें बाधा बनने का काम करती रही.”