नॉर्थ कोरिया में कोरोना का पहला केस मिलने के बाद शुक्रवार को एक मरीज की मौत हो गई। वहीं, 5 ऐसे लोगों की भी जान गई है जिनमें कोरोना की पुष्टि नहीं हुई थी। सरकारी मीडिया के मुताबिक फिलहाल देश में 1,87,000 लोगों को बुखार के लक्षण आ रहे हैं, जिस कारण उन्हें आइसोलेट कर दिया गया है।
बता दें कि नॉर्थ कोरिया में 8 मई को कोरोना का पहला मामला सामने आया था। गुरुवार को इसकी पुष्टि की गई और इसके साथ ही पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया ने 2020 के आखिर तक 13,259 लोगों के सैंपल्स की जांच की थी। इनमें सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई।
देश की KCNA न्यूज एजेंसी के अनुसार, राजधानी प्योंगयांग में अप्रैल के आखिर में अचानक से लोग बुखार की चपेट में आने लगे। ये बुखार फैलते-फैलते प्योंगयांग के बाहर जा पहुंचा। अब तक कुल 3,50,000 लोगों में इस बुखार के लक्षण देखे गए हैं। हालांकि, इनमें से कितने लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, एजेंसी ने इस बात का खुलासा नहीं किया है।
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया इस वक्त कोरोना विस्फोट की स्थिति में हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि देश में रहने वाले 2.5 करोड़ लोग खतरे में हैं, क्योंकि यहां न तो किसी को वैक्सीन लगेगी, न ही अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी। यहां फैल रहा बुखार कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट है।
दरअसल, नॉर्थ कोरिया ने ब्रिटेन और चीन जैसे देशों में बनी वैक्सीन खरीदने से साफ इनकार कर दिया था। इसके बजाय सरकार का कहना था कि उसने जनवरी 2020 में सभी बॉर्डर्स बंद कर कोरोना को देश के अंदर आने से रोक दिया है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि नॉर्थ कोरिया के लिए असली खतरा कोरोना नहीं, बल्कि लॉकडाउन है। आबादी का बड़ा हिस्सा वैसे ही कुपोषण का शिकार है। पिछले दो सालों से बॉर्डर्स बंद होने के कारण वैसे भी व्यापार कम हुआ है। अब लॉकडाउन लगने से खाने और दवाओं में और कमी आ सकती है।
BBC के मुताबिक, नॉर्थ कोरिया में लगा लॉकडाउन कितना सख्त हो सकता है, फिलहाल हमें इसका कोई अंदाजा नहीं है। हो सकता है कि तानाशाह किम जोंग उन दुनिया को अपनी असली हालत बताकर मदद लेने का संकेत दे रहा हो।
कोरोना पर गुरुवार को हुई एक मीटिंग में किम जोंग को पहली बार टीवी पर मास्क पहने देखा गया। देश में वायरस को कंट्रोल करने के लिए अधिकतम आपातकाल का आदेश दिया गया है, जिसमें वर्कप्लेस पर भीड़ न जुटाने और लोकल लॉकडाउन लगाने जैसे प्रोटोकॉल शामिल हैं।