पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को पटरी पर लाने का संकेत दिया है। पाकिस्तान ने नई दिल्ली स्थित उच्चायोग में पांच साल बाद पर ट्रेड मिनिस्टर नियुक्त करने का फैसला किया है। इस पद पर कमर जमां की नियुक्ति के प्रस्ताव को पीएम शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई।
जानकार मान रहे हैं कि आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से यह कदम उठा रहा है। हालांकि पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय ने इससे इन्कार किया है। पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि भारत समेत 46 देशों में पाकिस्तान के 57 ट्रेड मिशन काम कर रहे हैं। भारत में मिनिस्टर (ट्रेड व इंवेस्टमेंट) का पद पिछले 20 वर्षों से स्थापित है और इस पद पर नियुक्ति को भारत के साथ मौजूदा रिश्तों के संदर्भ में नहीं देखना चाहिए।
नियुक्ति की प्रक्रिया दिसंबर, 2021 में शुरू की गई थी। पूर्व सरकार ने इस तरह के पदों पर 15 लोगों की नियुक्ति की अनुशंसा की थी, जिसे मौजूदा सरकार ने अपनी मंजूरी दी है। पाकिस्तान के इस फैसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है। सूत्रों का कहना है कि भारत ने अपनी तरफ से पाकिस्तान के साथ कारोबार पर रोक नहीं लगाई है। इस संदर्भ में अब तक के कदम पाकिस्तान ने ही उठाए हैं। ऐसे में द्विपक्षीय कारोबार को आगे बढ़ाने का फैसला उसे ही करना है।
उल्लेखनीय है कि भारत के साथ कारोबारी रिश्तों को लेकर पाकिस्तान की सरकार हमेशा से दुविधा में रही है। वर्ष 2012 में भारत को कारोबार के लिए तरजीही देश का दर्जा देने की घोषणा करने के बाद भी उसे लागू नहीं किया गया। बाद में उस फैसले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। दिसंबर, 2015 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार को सामान्य बनाने के लिए समग्र वार्ता शुरू करने की सहमति बनी, लेकिन 2016 में भारत में आतंकी हमले के बाद द्विपक्षीय रिश्तों की गाड़ी पटरी से उतर गई।
2019 में पाकिस्तान ने एक बार फिर ट्रेड मिनिस्टर को नई दिल्ली स्थित उच्चायोग में नियुक्त करने का फैसला किया था, लेकिन भारत द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाने के निर्णय के बाद इमरान खान सरकार ने उस पर अमल नहीं किया। साथ ही भारत के साथ कारोबार पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। यह प्रतिबंध अभी तक लागू है।