1976 में तहखाने में भरी गईं दरारें
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. डी दयालन की पुस्तक ताजमहल एंड इट्स कन्जरवेशन में बताया गया है कि 1976-77 में मुख्य गुंबद के नीचे तहखाने में दीवारों पर आई दरारों को भरा गया था। कई जगह सीलन आ गई थी। भूमिगत कक्षों तथा रास्ते की मरम्मत की गई, जिसमें पुराना क्षतिग्रस्त प्लास्टर हटाकर नया प्लास्टर किया गया। गहरी दरारों को मोर्टार से भरा गया था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. डी दयालन की पुस्तक ताजमहल एंड इट्स कन्जरवेशन में बताया गया है कि 1976-77 में मुख्य गुंबद के नीचे तहखाने में दीवारों पर आई दरारों को भरा गया था। कई जगह सीलन आ गई थी। भूमिगत कक्षों तथा रास्ते की मरम्मत की गई, जिसमें पुराना क्षतिग्रस्त प्लास्टर हटाकर नया प्लास्टर किया गया। गहरी दरारों को मोर्टार से भरा गया था।
गैलरी की छत पर है पेंटिंग
वर्ष 1652 में औरंगजेब ने ताजमहल के तहखाना-ए-कुर्सी-हफ्तादार यानी सात आर्च के तहखाने का जिक्र किया था। यह तहखाना ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड में सबसे पहले 1874 में जे डब्ल्यू एलेक्जेंडर की रिपोर्ट में आया, जिन्होंने इसे देखने के बाद सबसे पहले नक्शा बनाया। यह ब्योरा ऑस्ट्रियाई इतिहासकार ईवा कोच ने अपनी पुस्तक रिवरफ्रंट गार्डन ऑफ आगरा में दिया है। उन्होंने ताजमहल के तहखाने के लिए लिखा है कि चमेली फर्श से यमुना किनारे की दो मीनारों के पास से इनका रास्ता है। लोहे की जालियों से इस रास्ते को बंद किया गया है। नीचे अंधेरा है।
वर्ष 1652 में औरंगजेब ने ताजमहल के तहखाना-ए-कुर्सी-हफ्तादार यानी सात आर्च के तहखाने का जिक्र किया था। यह तहखाना ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड में सबसे पहले 1874 में जे डब्ल्यू एलेक्जेंडर की रिपोर्ट में आया, जिन्होंने इसे देखने के बाद सबसे पहले नक्शा बनाया। यह ब्योरा ऑस्ट्रियाई इतिहासकार ईवा कोच ने अपनी पुस्तक रिवरफ्रंट गार्डन ऑफ आगरा में दिया है। उन्होंने ताजमहल के तहखाने के लिए लिखा है कि चमेली फर्श से यमुना किनारे की दो मीनारों के पास से इनका रास्ता है। लोहे की जालियों से इस रास्ते को बंद किया गया है। नीचे अंधेरा है।
इस रास्ते को लेकर ये हैं चर्चाएं
पर्यटकों में इस रास्ते को लेकर यह चर्चाएं हैं कि इनका रास्ता आगरा किले तक पहुंचता है, लेकिन इन सीढ़ियों का उपयोग शाहजहां नदी के रास्ते ताजमहल में आने के लिए करते थे। नीचे जाने पर गैलरी है, जिसकी छत पर पेंटिंग है। तीन साइड में यहां गैलरी है जिसमें सात बड़े चैंबर है, इसके साथ ही छह चौकोर कमरे हैं, जबकि चार अष्टकोणीय कमरे हैं। एक आयताकार चैंबर आपस में इनसे जुड़ा है।
पर्यटकों में इस रास्ते को लेकर यह चर्चाएं हैं कि इनका रास्ता आगरा किले तक पहुंचता है, लेकिन इन सीढ़ियों का उपयोग शाहजहां नदी के रास्ते ताजमहल में आने के लिए करते थे। नीचे जाने पर गैलरी है, जिसकी छत पर पेंटिंग है। तीन साइड में यहां गैलरी है जिसमें सात बड़े चैंबर है, इसके साथ ही छह चौकोर कमरे हैं, जबकि चार अष्टकोणीय कमरे हैं। एक आयताकार चैंबर आपस में इनसे जुड़ा है।
वजन बांटने के लिए बने हैं तहखाने
पूर्व संरक्षण सहायक ताजमहल डॉ. आरके दीक्षि ने बताया कि ताजमहल ही नहीं, बल्कि एत्माद्दौला, रामबाग समेत यमुना किनारे के जो स्मारक मुगलिया दौर में बने हैं, उन सभी में ऐसे तहखाने और कमरे बने हैं। यह वजन बांटने के काम आते थे ताकि स्मारक का भारी वजन आर्च और डाट के खोखले चैंबर के जरिए आपस में बंट सके।
पूर्व संरक्षण सहायक ताजमहल डॉ. आरके दीक्षि ने बताया कि ताजमहल ही नहीं, बल्कि एत्माद्दौला, रामबाग समेत यमुना किनारे के जो स्मारक मुगलिया दौर में बने हैं, उन सभी में ऐसे तहखाने और कमरे बने हैं। यह वजन बांटने के काम आते थे ताकि स्मारक का भारी वजन आर्च और डाट के खोखले चैंबर के जरिए आपस में बंट सके।