बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की एंट्री के फैसले की वजह से सभी के मन में एक सवाल चल रहा है। पिछले 17 सालों से बिहार में बीजेपी और जेडीयू सरकार चला रही है। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर बिहार की राजनीति में पैठ बनाने और राजनीति के शिखर तक पहुंचने के लिए प्रशांत किशोर कौन-सा मंत्र फूंकेंगे? जबकि बिहार में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से लगभग 122 से अधिक ऐसी योजनाएं चलाई जा रही है जिससे 9 करोड़ से अधिक लोगों को सीधे लाभान्वित किया जा रहा है।
पटना : बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर ने अपनी एंट्री की घोषणा की। इसके बाद अब ये सवाल हर किसी के मन में है कि वो कौन-सा मंत्र फूंकेंगे, जिसके जरिए वो बिहार की जनता के दिल में जगह बना पाएंगे। देखा जाए तो केंद्र और राज्य की ओर से 122 से अधिक ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जो बिहार की 9 करोड़ से अधिक जनता को सीधे तौर पर फायदा पहुंचा रही है। इसके अलावा कोरोना के मुफ्त वैक्सिनेशन और राशन वाली योजना ने हर खास और आम को जोड़ लिया। ऐसे में प्रशांत किशोर के सामने चुनौती है। आम लोगों की माने तो प्रशांत किशोर की सफलता पर संदेह है। उन्हें लगता है PK की महत्वाकांक्षाओं का जहाज भी PPC (पुष्पम प्रिया चौधरी) की तरह ही डूब जाएगा। प्रशांत किशोर ने पहले से ही राजधानी पटना के पॉश इलाके में अपनी कंपनी आईपैक का ऑफिस बना रखा है। इसी जगह उनका तीन फ्लोर का नया ऑफिस बन कर तैयार है। जिसे फंग्शनल कर दिया गया। प्रशांत किशोर ने एनबीटी को बताया कि अपनी अगली रणनीति की जानकारी 5 मई को होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही देंगे, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि प्रशांत किशोर आखिर बिहार की राजनीति में अपनी पैठ बनाएंगे कैसे?
एनडीए सरकार के शासन काल के दौरान जनता को हर तरह की सुविधाएं देने की कोशिश हो रही है। चाहे युवा हों, बेरोजगार हों, बुजुर्ग हों, बालिका हों या बालक सभी को डायरेक्ट बेनिफिट प्लान से जोड़ दिया गया है। कोरोना काल के दौरान करीब 8.57 करोड़ लोगों को राशन कार्ड के जरिए अनाज उपलब्ध कराए गए। इसका भी लाभ हर परिवार को मिला। केंद्र हो या राज्य दोनों की ओर से लोगों को सहूलियतें प्रदान करने की कोशिश की गई। वहीं, दूसरी तरफ नए रोजगार लाने के सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन भी लगातार नए उद्योगों की स्थापना पर जोर दे रहे हैं। बेगूसराय में पेप्सीको के पूर्वोत्तर के सबसे बड़े बॉटलिंग प्लांट का उद्घाटन किया जा चुका है, पूर्णिया में एथेनॉल प्लांट की शुरुआत की जा चुकी है। इसके अलावा कई अन्य प्रोजेक्ट पाइप लाइन में हैं।
करीब 122 अलग-अलग योजनाओं के जरिए लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान भी केंद्र और राज्य ने मिलकर मरने वालों को अन्य राज्यों की अपेक्षा सबसे अधिक राशि मुआवजे के रूप में अदा की। स्वास्थ्य सेवाओं, चमकी बुखार और एम्स के निर्माण पर भी लगातार काम किया जा रहा है। अस्पतालों की बात की जाए तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अपग्रेड करने की कवायद लगातार जारी है। केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से उज्ज्वला योजना 1.0 तहत बिहार में 87 लाख कनेक्शन लाभार्थियों को दिया गया था। इसमें अकेले 36 लाख कनेक्शन इंडियन ऑयल ने बांटे थे। अब उज्ज्वला 2.0 की शुरुआत हो चुकी है। केंद्र सरकार की ओर से 1 जनवरी 2022 को किसान सम्मान निधि योजना के तहत दसवीं किस्त जारी कर दी है। जिससे लगभग 10.09 करोड़ किसानों लाभ हुआ है।
फिलहाल नीतीश मॉडल चल रहा है। जिसमें बिहार ने करीब 17 सालों के नीतीश शासन काल के दौरान विकास किया है। सड़कों से लेकर पुल तक, एम्स से लेकर एयरपोर्ट तक और गांवों से लेकर शहर तक का विकास किया गया है। लेकिन भ्रष्टाचार पर लगाम और अफसरशाही से जनता परेशान है। सबसे बड़ी समस्या बिहार के सरकारी कार्यालयों की है। जहां आम लोगों को बिना सुविधा शुल्क अदा किए कोई काम कराना मुश्किल है। इनमें खास कर जमीन से जुडे़ कागज हों या ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी ऑफिस ऐसी जगह है, जहां बिहार सरकार फिसड्डी साबित हुई है। जिस समस्या को नेता प्रतिपक्ष लगातार उठाते रहे हैं। जिसे वो सुनवाई और कार्रवाई का नाम देते हैं। हालांकि बिहार की तुलना दिल्ली जैसे छोटे से राज्य से नहीं की जा सकती, जिसका क्षेत्रफल पटना जिले से भी कम है। लेकिन देश की राजनीति में दिल्ली मॉडल भ्रष्टाचार नियंत्रण में कारगर जरूर साबित हुआ है।