रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पीएम मोदी का यूरोप दौरा, जानें क्यों बढ़ गई है इस दौरे की अहमियत?

रूस-यूक्रेन युद्ध के 67 दिन हो गए हैं। रूस की ओर से हमला बंद नहीं किया जा रहा वहीं यूक्रेनी सेना भी जवाब देने में जुटी है। यूक्रेन पर हमले की वजह से यूरोपीय देश रूस के खिलाफ एकजुट हैं वहीं इस युद्ध के बीच पीएम मोदी का यूरोप दौरा काफी अहम माना जा रहा है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की यूरोप यात्रा ऐसे वक्त हो रही है जब यूक्रेन पर आक्रमण (Ukraine War) के चलते रूस के खिलाफ अधिकांश यूरोपीय देश एकजुट हैं। इस साल पीएम मोदी की यह पहली विदेश यात्रा है। यूक्रेन-रूस युद्ध पर भारत का स्टैंड अब तक न्यूट्रल रहा है हालांकि रूस के खिलाफ एक बार भी वोटिंग भारत की ओर से नहीं की गई है। प्रधानमंत्री मोदी की यूरोप यात्रा (3 Day 3 Nation Trip To Europe) ऐसे वक्त हो रही है जब इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसका जिक्र स्वयं पीएम मोदी ने किया। जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा से पहले उन्होंने कहा कि उनका यूरोप दौरा ऐसे समय हो रहा है जब यह क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि वह भारत के यूरोपीय साझेदारों के साथ सहयोग की भावना को मजबूत करना चाहते हैं। विदेश नीति (Foreign Policy) के लिहाज से भी पीएम मोदी की यह यात्रा काफी अहम है।

2 मई से पीएम मोदी का यूरोप दौरा
पीएम मोदी 2 मई से जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। इस दौरान वह इन देशों में लगभग 65 घंटे बिताएंगे और 25 से ज्यादा कार्यक्रमों में शामिल होंगे। वह जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के निमंत्रण पर 2 मई को बर्लिन का दौरा करेंगे और इसके बाद वह 3-4 मई को डेनमार्क की अपनी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन के निमंत्रण पर द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होने के लिए कोपनहेगन की यात्रा करेंगे और द्वितीय भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। अपनी यात्रा के अंतिम चरण में वह कुछ समय के लिये फ्रांस में रुकेंगे, जहां मोदी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे।

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