नवनीत राणा और उनके पति को अरेस्ट करने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या बीजेपी के बिछाए जाल में शिवसेना फंस गई है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर राणा दंपत्ति मातोश्री के बाहर जाकर हनुमान चालीसा पढ़ भी लेते तो क्या था। सारा विवाद 10 मिनट में खत्म हो जाता। किसी को पता भी न चलता। लेकिन अब बैठे बिठाए नवनीत और उनके पति को बेवजह की शोहरत मिल गई।
विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी महाराष्ट्र को धार्मिक मुद्दे पर ले जाना चाहती थी। वो इसमें पूरी तरह से कामयाब भी रही। आज राज्य में हर तरफ नवनीत राणा और हनुमान चालीसा की चर्चा है। हालांकि, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार इसे बेवजह का मुद्दा मानते हैं। उनका कहना है कि लोग समझदार हैं और वो सूबे को विकास से हटाकर सांप्रदायिकता की आग में नहीं झोंकने वाले। लोग समझते हैं कि ये बीजेपी की साजिश है।
ध्यान रहे कि महाराष्ट्र में लगातार गरमाते लाउडस्पीकर मामले ने उद्धव सरकार की नाक में दम कर रखा है। पहले मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा को लेकर उद्धव सरकार को चेतावनी दी और अब एक और विधायक ने लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाने को लेकर उद्धव सरकार के विरूद्ध मोर्चा खोल दिया है। महाराष्ट्र के निर्दलीय विधायक रवि राणा,और उनकी सांसद पत्नी ने 23 अप्रैल को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की बात कही थी। लेकिन इससे पहले ही वो अरेस्ट हो गए।
जानकारों का कहना है कि बीएमसी चुनाव में अब हनुमान चालीसा मुद्दा बनेगा। बीजेपी राज ठाकरे को लगातार तरजीह देने में लगी है। वो चाहती है कि जिन मराठी इलाकों में शिवसेना का प्रभाव है वहां राज ठाकरे को आगे किया जाए। राज भी जानते हैं कि उनके पास जमीन नहीं है। लिहाजा वो भी चाहे अनचाहे इस विवाद का केंद्र बनने के लिए तैयार हैं।
हालांकि संजय राउत इसे बेवजह का मुद्दा मानते हैं। उनका कहना है कि हनुमान चालीसा गाना या बजाना गलत नहीं है। लेकिन सरकार के मुखिया के घर के आगे जाकर ये करना गलत है, क्योंकि वो संवेदनशील जेड सिक्योरिटी इलाका है। उधर, पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि क्या मातोश्री के चारों तरफ मौजूद सड़कों पर लोग नहीं जा सकते।
सारे मामले में एमवीए सरकार की घटक कांग्रेस तटस्थ है। लेकिन वंचित बहुजन अगाड़ी के प्रकाश अंबेडकर कहते हैं कि शिवसेना बीजेपी और एनसीपी के बिछाए जाल में फंस गई। दोनों ही उद्धव ठाकरे की छवि को खराब करने पर आमादा हैं।