पुणे/नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर के कई जिलों में स्कूली बच्चे कोरोना संक्रमित होने लगे तो मां-बाप की टेंशन बढ़ गई। कुछ अभिभावक चाहते हैं कि मई के आखिर में गर्मी की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं, ऐसे में करीब एक महीने स्कूल बंद कर दिए जाएं। जुलाई तक शायद कोरोना का खतरा कम हो जाए। उधर, दिल्ली में मास्क फिर से अनिवार्य कर दिया गया है लेकिन अभी स्कूल बंद नहीं किए गए हैं। नोएडा-गाजियाबाद में भी स्कूल खुले हुए हैं। हां, कोरोना केस मिलने के बाद ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों मोड में पढ़ाई शुरू हो गई है। ऐसे समय में, हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि हाल में बच्चों में कोविड-19 संक्रमण बढ़ने से चिंतित नहीं होना चाहिए। सार्स-कोव-2 से संक्रमित बच्चों में मामूली लक्षण ही दिख रहे हैं। उन्होंने यह जरूर कहा कि बच्चों को मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
बच्चों से नहीं फैल रही महामारी
ICMR के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. समीरन पांडा ने कहा, ‘बच्चों से महामारी नहीं फैल रही है। स्कूलों को हमारी सलाह है कि वे कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करें और सुनिश्चित करें कि सभी मास्क पहनें।’
डॉ. पांडा ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में ऐसा नहीं हुआ है कि स्कूल खुले हों और कोविड फैल गया हो। उन्होंने कहा, ‘स्कूल के बंद होने से छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस समय देश में कोविड महामारी के मद्देनजर इस तरह का कदम उचित नहीं है।’
महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि सीरो सर्वे से पता चलता है कि स्कूल बंद रहने के दौरान भारत के करीब 70-90 फीसदी बच्चे वायरस की चपेट में आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि बड़ों की तरह बच्चे भी अतिसंवेदनशील होते हैं लेकिन ज्यादातर बच्चों में कोविड के लक्षण नहीं दिखते या मामूली होते हैं।
राज्य बाल चिकित्सा कार्यबल के सदस्य डॉ. प्रमोद जोग ने कहा कि बच्चों को समझाकर मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तुलनात्मक रूप से देखें तो बच्चों में संक्रमण गंभीर नहीं है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि दूसरी लहर के दौरान महाराष्ट्र में 11 फीसदी केस बच्चों में थे जिनकी उम्र 10 साल से कम थी। कुछ बच्चों में लंबे समय तक कोविड के लक्षण दिखाई दिए, ऐसे में इसे हल्के में भी नहीं लेना चाहिए। उस समय मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के केस आए थे।
डॉ. जोग ने कहा कि वैक्सीन कवरेज को 12-14 साल उम्र समूह में बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि टीके लगे होने से बीमारी की गंभीरता और मृत्यु से बचाव में मदद मिलती है।
दिल्ली का हाल
दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के बीच सरकार ने इससे निपटने की तैयारियां तेज कर दी हैं। अस्पतालों के बिस्तर, चिकित्सकीय ऑक्सीजन और दवाइयों की व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है। अधिकारियों और सरकार का कहना है कि हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। अस्पतालों में कुल 9,737 बिस्तर में से केवल 80 बिस्तर भरे हुए हैं,जो करीब 0.82 प्रतिशत है। वहीं, ऑक्सीजन की सुविधा वाले बिस्तर 0.64 प्रतिशत, आईसीयू में 0.91 प्रतिशत और 1.03 प्रतिशत वेंटिलेटर वाले बिस्तर भरे हुए हैं।