नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना के केस फिर बढ़ने लगे हैं। इस बार कोरोना के मामले स्कूलों में सामने आ रहे हैं। जिसके चलते सरकार को फिर से पाबंदियां लगाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि, दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डा स्मिता मल्होत्रा ने सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना के केस मिलने के बाद स्कूलों को बंद करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बल्कि इसके बजाय एहतियाती उपाय करने चाहिए।
दरअसल, बाल रोग विशेषज्ञ डा स्मिता मल्होत्रा ने कहा कि शिक्षक और छात्रों में कोविड-19 के लक्षण मिले हैं। ऐसे में उनके पाजिटिव मिलने के बाद स्कूलों को बंद करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि स्कूली शिक्षा बच्चों के विकास का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। यहां बच्चों का शैक्षिक विकास, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक पहलुओं का विकास होता है। इसलिए निश्चित रूप से अभी स्कूलों को बंद करने की कोई जरुरत नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि मानक सावधानियां जो दूसरों के लिए हैं, उसका स्कूलों में भी पालन होना चाहिए। बच्चों के लिए स्कूलों में बार-बार हाथ धोना और अच्छा वेंटिलेशन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अलावा उनकी उचित जांच सुनिश्चित की जानी चाहिए। यदि आपको लगता है कि किसी बच्चे में मामूली लक्षण भी हैं, तो उस बच्चे को कुछ दिनों के लिए घर पर रहने के लिए कहा जाए।
डाक्टर मल्होत्रा का यह भी मानना है कि बढ़ती उम्र के दौरान बच्चे विभिन्न प्रकार के वायरस के संपर्क में आते हैं और जब भी मौसम बदलता है या उन विशेष वायरस का कोई मौसम होता है, तो वे वायरल संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि केवल एक चिंता का विषय यह है कि COVID इतनी तेजी से नहीं फैलनी चाहिए कि यह स्कूलों पर ही हावी हो जाए। उन्होंने बताया कि स्कूलों के फिर से खुलने के बाद बच्चों के COVID होने की कुछ खबरें आई हैं, लेकिन उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं है। उनमें हल्के फ्लू जैसे लक्षण हैं और स्कूलों के फिर से खुलने के बाद मामलों में मामूली रुप से वृद्धि हुई है। विशेष रूप से, दिल्ली में पिछले 24 घंटों में लगभग चार प्रतिशत (3.95 प्रतिशत) की सकारात्मकता दर के साथ 366 कोविड मामले दर्ज किए गए हैं। राष्ट्रीय राजधानी में पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है।