चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस में नए तूफान की आहट सुनाई पड़ने लगी है। कांग्रेस के नए प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की ताजपोशी से पहले नवजोत सिंह सिद्धू फिर सक्रिय नजर आ रहे हैं। ‘दुश्मन का दुश्मन दोस्त’ की नीति पर चलते हुए शुक्रवार को सिद्धू ने कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ से मुलाकात की।
नवजोत सिंह सिद्धू की सुनील जाखड़ से मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें चुनाव के दौरान ‘हिंदू होने के कारण मुख्यमंत्री नहीं बनाने’ का बयान देने के कारण पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जाखड़ पहले से ही कांग्रेस की आंतरिक राजनीति से नाराज चल रहे हैं। सिद्धू इसी नाराजगी को कैश करने की जुगत में नजर आए।
यही नहीं, सिद्धू ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लाल सिंह और अमरीक सिंह ढिल्लों से भी मुलाकात की। यह दोनों नेता भी कांग्रेस की आंतरिक राजनीति से नाराज बताए जा रहे हैं। सिद्धू वरिष्ठ नेताओं की इसी नाराजगी को अपने हक में करने की कोशिश में जुट गए हैं।
देखने वाली बात यह है कि 7 अप्रैल को पार्टी कार्यालय के बाहर महंगाई के विरुद्ध दिए गए धरने के दौरान सिद्धू की यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रधान बरिंदर ढिल्लों से गरमागरमी हो गई थी। जिसके कारण कांग्रेस का धरना फ्लाप हो गया था। धरने के फ्लाप होने का नजला भी सिद्धू के माथे पर ही फोड़ा गया था।
इसके दो दिन बाद ही कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश की कमान राजा वड़िंग के हाथों सौंपने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद से ही सिद्धू शांत दिखाई दे रहे थे। अचानक ही सिद्धू ने अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए अपना पलड़ा भारी करने में जुट गए हैं।
अहम बात यह है कि सोनिया गांधी द्वारा इस्तीफा लेने के बाद से ही सिद्धू ने अपना गुट खड़ा करना शुरू कर दिया था। जिसे अब उन्होंने और बड़ा करना का फैसला कर लिया है।
खास बात यह है कि वड़िंग के प्रदेश प्रधान बनने के बाद से ही सिद्धू के राजनीतिक करियर को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे, क्योंकि कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग सिद्धू के खिलाफ था। वहीं, पार्टी हाईकमान ने भी सिद्धू से पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया है, जबकि अन्य पार्टियों में भी सिद्धू के जाने की संभावना न के बराबर ही है। ऐसे में सिद्धू ने अपने ग्रुप को मजबूत करने का फैसला किया है।
इसी क्रम में सिद्धू ने सुनील जाखड़ से भी मुलाकात की। सूत्र बताते हैं कि जाखड़ ने सिद्धू को कोई सकारात्मक रिस्पांस नहीं दिया है। वहीं, सिद्धू के एक्टिव होने के साथ ही यह संकेत भी मिलने शुरू हो गए हैं कि हाईकमान ने भले ही पंजाब कांग्रेस की अंतरकलह खत्म करने के लिए प्रदेश प्रधान को बदल दिया हो, लेकिन कलह अभी खत्म नहीं हुई है।