पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सभी सांसद नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए मतदान से पहले नेशनल असेंबली से इस्तीफा दे देंगे। इमरान खान के करीबी फवाद चौधरी ने सोमवार को यह जानकारी दी। पूर्व सूचना मंत्री चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री के चुनाव से पहले पार्टी के सांसदों की बैठक में यह निर्णय लिया गया जिसके लिए पार्टी ने पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को नामित किया था। चौधरी ने ट्वीट किया, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ संसदीय समिति ने नेशनल असेंबली से इस्तीफा देने का फैसला किया है। आज सभी सदस्य अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं।
इमरान का आरोप, अमेरिका ने गिराई सरकार
उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनकी पार्टी आजादी के लिए लड़ेगी और ऐसी किसी भी सरकार का हिस्सा नहीं बनेगी जो विदेशी एजेंडे के तहत बनाई जा रही है। बता दें कि इमरान खान आरोप लगा रहे हैं कि अमेरिका उनकी सरकार को गिराने की साजिश में शामिल है। पार्टी का यह फैसला अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से इमरान खान को हटाने के बाद पाकिस्तान की संसद द्वारा नए प्रधानमंत्री का चुनाव करने के मद्देनजर आया। विपक्षी उम्मीदवार और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में हैं।
पीएम बनने के लिए कम से कम 172 सांसदों का समर्थन
342 के सदन में जीतने वाले उम्मीदवार को कम से कम 172 सांसदों का समर्थन मिलना चाहिए। शहबाज का समर्थन कर रहे संयुक्त विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव में ज्यादा संख्या दिखाई है। इस बीच जियो टीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इमरान खान ने नेशनल असेंबली के सदस्य के रूप में पद छोड़ने का फैसला किया है। मामले से जुड़े सूत्रों ने खान के हवाले से कहा कि हम किसी भी हालत में इस संसद में नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि पीटीआई संसद में उन लोगों के साथ नहीं बैठेगी जिन्होंने पाकिस्तान को लूटा है और जिन्हें विदेशी ताकतों ने आयात किया है।
कई सांसदों ने किया इस्तीफा देने का विरोध
हालांकि, सूत्रों ने कहा कि पार्टी के अधिकांश सांसदों ने इमरान खान के इस्तीफे के फैसले का विरोध किया है और इसके बजाय उन्हें सलाह दी कि उन्हें हर मोर्चे पर विपक्ष का डटकर सामना करना चाहिए। इस पर इमरान खान ने जवाब दिया कि अगर मैं अकेला रह गया तो भी इस्तीफा दे दूंगा। सदन के नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया रविवार को खान को अविश्वास मत के माध्यम से पद से हटाए जाने के बाद शुरू हुई। सदन का विश्वास खोने के बाद देश के इतिहास में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाए गए पहले प्रधानमंत्री बन गए।