चोरी और सीनाजोरी: पहले लद्दाख में पावर ग्रिड को बनाया निशाना और अब चीन बोला- सबूत कहां हैं?

संदिग्ध चीनी सरकारी हैकरों ने भारत के बिजली क्षेत्र को टारगेट किया था। हैकर्स ने उत्तर भारत के कम से कम ‘सात डिस्पैच’ सेंटर पर फोकस किया था। ये सेंटर्स पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन बॉर्डर के पास के क्षेत्र ने ग्रिड कंट्रोल और बिजली पहुंचाने के लिए रियल-टाइम ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार हैं।

अब केंद्र सरकार ने भी इस बात की पुष्टि की है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि चीनी हैकरों की ओर से लद्दाख के पास बिजली वितरण केंद्रों को निशाना बनाने के दो प्रयास किए गए लेकिन सफल नहीं हुए। उन्होंने आगे कहा है कि ऐसे साइबर हमलों का मुकाबला करने के लिए हमने अपनी रक्षा प्रणाली को पहले ही मजबूत कर लिया है।

अब हैकिंग की कोशिश मामले को लेकर अब चीन ने अपनी बात रखी है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट मुताबिक चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि साइबर घटनाओं की जांच में पूरे सबूत होने चाहिए और लापरवाही से किसी भी सरकार से संबंध नहीं जोड़ना चाहिए।

लोड डिस्पैच सेंटर्स में से एक पर इससे पहले रेडइको नाम के हैकिंग ग्रुप ने भी अटैक किया था। रिकॉर्डर फ्यूचर की रिपोर्ट बताती है कि यह ग्रुप एक बड़े हैकिंग ग्रुप से जुड़ा हुआ है। अमेरिकी अधिकारियों ने इस ग्रुप को चीन सरकार से जोड़ा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीनी सरकार से जुड़े ये हैकिंग ग्रुप पावर ग्रिड को टारगेट कर आर्थिक और पारंपरिक खुफिया जानकारी जुटाते हैं जिसका भविष्य में इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके साथ ही हैकर्स ने भारत की नेशनल इमरजेंसी रेस्पोंस सिस्टम और एक मल्टीनेशनल लॉजिस्टिक कंपनी की सहायक कंपनी को भी निशाना बनाया है। TAG-38 नाम के इस हैकिंग ग्रुप ने शैडोपैड नाम के एक खतरनाक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है। इस सॉफ्टवेयर के लिंक चीनी सेना और चीनी रक्षा मंत्रालय से जुड़े रहे हैं।

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