भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलों के बीच प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के संस्थापक मंथन में जुटे हुए हैं। उन्होंने गुरुवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात की और करीब डेढ़ घंटे तक विचार विमर्श किया। माना जा रहा है कि कोई कदम उठाने से पहले वह पार्टी नेताओं को विश्वास में लेना चाहते हैं। सीएम योगी से मुलाकात के अगले दिन शिवपाल लखनऊ में काफी व्यस्त नजर आए। सुबह एक स्कूल के कार्यक्रम में हिस्सा लिया तो फिर पार्टी दफ्तर पहुंचकर नेताओं से बातचीत की।
माना जा रहा है कि शिवपाल सिंह यादव अभी इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का भाजपा में विलय किया जाए या फिर एनडीए के सहयोगी दल के तौर पर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाएं। हालांकि, उनका सपा गठबंधन से अलग होना लगभग तय हो चुका है। बताया जा रहा है कि उन्होंने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को भी अपने दिल की बात बता दी है। सूत्रों के मुताबिक, मुलायम ने भी उन्हें अपने सम्मान के लिए कोई भी फैसला लेने की छूट दे दी है।
मुलायम सिंह यादव के साथ यूपी में जमीनी स्तर पर दशकों तक काम कर चुके शिवपाल यादव की सपा संगठन पर मजबूत पकड़ है। राजनीतिक विश्लेषकों का का मानना है कि भाजपा के साथ जुड़ने के बाद शिवपाल यादव सपा संगठन को बड़ा नुकसान पहुंचाकर अखिलेश से अपने अपमान का बदला ले सकते हैं।
लंबे समय से असंतुष्ट हैं शिवपाल
शिवपाल यादव उसी समय से असंतुष्ट हैं जब सपा की कमान मुलायम के साथ से निकलकर अखिलेश यादव के हाथ चली गई। भतीजे ने उन्हें अपेक्षित सम्मान नहीं दिया। इससे आहत होकर उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने मुलायम सिंह यादव के कहने पर सपा से गठबंधन तो किया लेकिन महज एक सीट मिलने से बेहद नाराज हुए। चुनाव के बाद उन्होंने सपा संगठन में जिम्मेदारी मांगी, लेकिन अखिलेश ने इससे इनकार कर दिया।