गेहूं में हाल ही मे हुई वर्षा एवं लगातार बदली के मौसम को देखते हुए गेहूं फसल में अंगमारी (ब्लाइट) के प्रकोप की आशंका हैं। यह रोग पत्ती में भूरे रंग की धब्बे अंगमारी(ब्लाइट) दिखाई देने पर ताम्र युक्त फफूंद नाशक दवा का 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। चना फसल में इल्ली कीट के प्रकोप होने की आशंका है इसके लिए सतत निगरानी रखें एवं प्रारंभिक प्रकोप दिखने पर एनपीवी 250 एल.ई. के घोल को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव सुबह या शाम को करें। सरसों में विगत दिनों हुए वर्षा एवं लगातार बदली के मौसम को देखते हुए तिलहन फसल में माहु (एफिड) के प्रकोप की आशंका है इसके लिए सतत निगरानी रखें एवं प्रारंभिक प्रकोप देखने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार दो से तीन बार छिड़काव करें। अरहर में विगत दिनों हुए वर्षा को ध्यान में रखते हुए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि खेत की सतत निगरानी रखें एवं कीट का प्रकोप होने पर उपरोक्त दवाई का छिड़काव करें। सूरजमुखी की पत्तियों पर भुरा धब्बा रोग दिखने पर ताम्रयुक्त फफंूदनाषी 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। मक्का में विगत दिनों हुए वर्षा से खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी उपलब्ध है अतः किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि मक्का फसल की बुवाई करें एवं दिसंबर माह में बोई गई फसल में निंदाई गुड़ाई करें।
फसलीय खेत में जलभराव से बचें। ओलावृष्टि की अधिक संभावना वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से उच्च मूल्य वाली फसलों के लिए शेड नेट एक अच्छा विकल्प हो सकता हैं। केले की फसल, युवा फलों के पौधों को सहारा दे और लटकने से बचाने के लिए गन्ने की फसल /सब्जीयों को संम्हालने के लिए खँूटे से सहारा दे। कटी हुई उपज को सुरक्षित स्थान पर रखें। बाग की फसलों के लिए सभी टूटी हुई शाखाओं और टहनियों को हटाने की सलाह दी जाती हैं। कवक द्वारा द्वितीयक संक्रमण से बचने के लिए अनुशंसित रसायनों का छिड़काव करना चाहिए। उचित वातन की सुविधा के लिए केले के खेतों से अतिरिक्त जमा पानी की निकासी करें।