संभागायुक्त श्री जीआर चुरेंद्र ने बस्तर संभाग के सभी क्षतिग्रस्त जलाशय, एनीकट, स्टाप डेम आदि मरम्मत हेतु 15 दिवस के भीतर संबंधित जिला पंचायत कार्यालयों में अनिवार्य रूप से प्राक्कलन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। बुधवार एक दिसंबर को संभागायुक्त कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित संभाग स्तरीय जल उपयोगिता समिति की बैठक में कमिश्नर श्री चुरेन्द्र द्वारा यह निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि किसानों को सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के लिए निर्मित इन जलस्त्रोंतों की उपयोगिता सुनिश्चित करने के साथ ही पानी की अपव्यय को रोकने के लिए क्षतिग्रस्त अधोसंरचनाओं की तत्काल मरम्मत आवश्यक है। उन्होंने इन जल स्त्रोतों के मरम्मत हेतु प्रस्तुत किए गए प्राक्कलनों को शत् प्रतिशत् स्वीकृत करने की बात भी कही। उन्होंने प्राक्कलन तैयार करने हेतु जल संसाधन एवं कृषि विभाग के अधिकारियों को मिलकर संयुक्त रूप से कार्य करने के निर्देश दिए हैं। बैठक में जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता श्री शेख शाकिर, कृषि विभाग के संयुक्त संचालक श्री एमएस धु्रव, जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता जगदलपुर श्री केएस भंडारी सहित बस्तर संभाग के सभी जिलों के जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता, कृषि विभाग के उप संचालक एवं उद्यानिकी विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
संभागायुक्त श्री चुरेंद्र ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों को पानी के महत्व को देखते हुए इसके संरक्षण एवं संवर्धन हेतु समुचित उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए उन्होंने किसानों को कम पानी की खपत वाले फसलों को लगाने के लिए प्रोत्साहित करने तथा पानी की बर्बादी को रोकने के संबंध में समझाईश देने के निर्देश भी दिए। उन्होंने किसानों को मक्का, सूरजमुखी आदि फसल लगाने के लिए प्रेरित करने को कहा। श्री चुरेंद्र ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को क्षतिग्रस्त जलाशयों एवं एनीकटों की मरम्मत अभिसरण के माध्यम से भी कराने के निर्देश दिए हैं। संभागायुक्त ने कहा कि बस्तर संभाग के जिन जिलों से होकर इंद्रावती नदी गुजरती है उन जिलों में अनिवार्य रूप से उद्वहन सिंचाई योजना के लिए योजना बनाई जाए। इसके लिए उन्होंने जल संसाधन के सभी अधिकारियों को प्रारंभिक तैयारी सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। संभागायुक्त ने किसानों की समस्याओं एवं जमीनी हालात से वाकिफ होने के लिए जल संसाधन, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को मैदानी भ्रमण के लिए समय-सारणी बनाने तथा उसका पालन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। श्री चुरेंद्र कहा कि वे स्वयं प्रत्येक जिले में पहुंचकर हालात की जानकारी लेंगे। उन्होंने सभी अधिकारियों को प्रत्येक माह के 25 तारीख तक अनिवार्य रूप से अपना अग्रिम दौरा कार्यक्रम निर्धारित करने के निर्देश भी दिए।
बैठक में श्री चुरेंद्र ने अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर जल स्त्रोतों से अनावश्यक पानी के बहाव को रोकने के उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए उन्होंने श्रम आधारित व्यवस्था सुनिश्चित कर इस कार्य में जल संसाधन विभाग के साथ-साथ कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की भी भागीदारी सुनिश्चित कराने को कहा। इस कार्य के अंतर्गत बोरी बंधान, मिट्टी बंधान आदि कार्यों को प्राथमिकता के साथ कराने के निर्देश भी दिए। संभागायुक्त में बैठक में उपस्थित सभी अधिकारियों को सुखाग्रस्त जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार हेतु समुचित उपाय सुनिश्चित करने तथा इसके लिए प्रत्येक अधिकारियों को एक-एक तालाब की जिम्मेदारी देने के भी निर्देश दिए। बैठक में श्री चुरेंद्र ने संभाग के सभी जलाशयों में जल भराव की स्थिति एवं वर्ष 2020-21 तथा 2021-22 का वास्तविक रबी सिंचाई की समीक्षा की। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2021-22 का रबी सिंचाई लक्ष्य निर्धारण आदि की भी समीक्षा की।