सर्वोच्च प्राथमिकता वाले आकांक्षी जिलों में छत्तीसगढ़ के 10 जिलों में महासमुन्द जिला भी शामिल है। महासमुन्द सहित प्रदेश के अन्य जिलों में विकास के लिए राज्य और केंद्र अधिक तालमेल के साथ काम कर रहे हैं। यहां की योजनाओं और समस्याओं को केंद्र सरकार को अवगत कराया जाता है। राज्य इस कार्यक्रम के प्रमुख परिचालक है और केंद्र की ओर से नीति आयोग द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है। अन्य जिलों सहित महासमुन्द जिले में योजनाओं के क्रियान्वयन में निश्चित रूप से तेजी आ रही है। महासमुंद जिले में पशुधन में बेहतर कार्य और पशुओं में टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान एवं पशुओं की उचित प्रगति के लिए नीति आयोग द्वारा रैंकिंग में द्वितीय स्थान दिया गया है। इसके अलावा कृषि एवं जल संसाधन विभाग के कार्याे का मूल्यांकन पैदावार की उत्पादकता, उत्पाद का उचित मूल्य बीजों की गुणवत्ता, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल बीमा, ई-विपणन में के आधार पर द्वितीय रैंकिंग मिली है।
इस योजना में मुख्यतः पांच विषयों स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि, जल संसाधन, वित्तीय समावेश एवं कौशल विकास और बुनियादी आधारभूत ढॉचे पर आधारित है। उपरोक्त पांचों विषयों का नागरिकों के जीवन पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव देखने को मिलता है। यह योजना मुख्यतः तीन सिद्धांतों पर आधारित है। पहली केंद्र और राज्य योजनाओं अभिसरण, दूसरा नागरिकों एवं सरकारी प्रशासकों के बीच आपसी सहयोग, अंतिम तीसरा जिलों के मध्य प्रतिस्पर्धा इन सिद्धांतों के आधार पर नीति आयोग द्वारा जिलो की प्रगति का मूल्यांकन उनके द्वारा किये गये कार्यों के आधार पर कर उन्हें रैकिंग दी जाती है।
राज्य और केंद्र के अधिकारियों में और अधिक समन्वय बढ़ रहा है। नए भारत निर्माण के अपने विजन को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रधानमंत्री ने देश के 115 पिछड़े जिलों को चिन्हांकित किया। जो वर्तमान में आकांक्षी जिलों के रूप में जाने जाते हैं। इन जिलों के त्वरित विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से अखिल भारतीय सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभारी अधिकारियों का दायित्व सौंपा गया है। इनमें अधिकांश भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होने के साथ ही केंद्रीय मंत्रालय में कार्यरत् है। जिसमें एडिशनल और जॉईंट सेकेटरी स्तर के अधिकारी शामिल है।
विभागीय अधिकारियों द्वारा बताया गया कि जिले में 20वीं पशु संगणना अनुसार कुल पशुधन 4,68,608 एवं कुल पक्षीधन 10,90,530 हैं। इन पशु व पक्षीधन को मिलाकर जिला महासमुंद को पशुओं में टीकाकरण हेतु विभाग द्वारा 10,90,000 का लक्ष्य वर्ष 2021-22 के लिए दिया गया है। जिसमें नीति आयोग द्वारा तैयार किये गये एप्प में की गई ऑनलाईन एण्ट्री के आधार पर माह अप्रैल से अगस्त तक की गई। जो 22.07 प्रतिशत थी। माह सितम्बर में बढ़कर प्रतिशत 74.29 हो गई, अर्थात 52.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जिसके लिए नीति आयोग ने जिला महासमुंद पशुधन विभाग को द्वितीय स्थान दिया है। जिले में तेजी से टीकाकरण के बढ़ने का मुख्य कारण पशु व पक्षियों को बीमारी से बचाने के लिए पशुपालक व पोल्ट्री व्यवसायियों में जागरूकता लायी गई। वर्तमान मौसम में गलघोटू एकटंगिया व एवियन इन्फ्लूइन्जा बीमारी के प्रकोप का खतरा अत्यधिक रहता है। स्थिति को देखते हुए पशुपालकों व पोल्ट्री व्यवस्थायियों को जिसके अंतर्गत माह सितम्बर तक गलघोटू एवं एकटंगिया 239230 एंटीरेबीज 2859, एनटेरोटाक्सिमिया गया। 9927, स्वाईन फीवर 1666, व कुक्कुट में 474107 टीकाकरण किया। विकासखण्ड महासमुंद में 75456, बागबाहरा में 326328 पिथौरा में 164114, बसना में 229016 व सराईपाली में 15206 टीकाकरण किया गया। इस प्रकार जिले में कुल 8,10,120 टीकाकरण किया जा चुका है जो कि नीति आयोग के मुख्य सिद्धांतो नागरिको एवं सरकारी प्रशासकों के बीच आपसी सहयोग से ही संभव हो पाया है।