समीक्षा आदेशों को अलमारी में नहीं रखा जाना चाहिए : जम्‍मू-कश्‍मीर इंटरनेट बैन मामले में सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से जानना चाहा कि क्या इंटरनेट प्रतिबंध के संबंध में समीक्षा आदेश सुप्रीम कोर्ट के अनुराधा भसीन मामले में फैसले के तहत सार्वजनिक किए गए या नहीं.

नई दिल्‍ली : 

जम्‍मू कश्‍मीर (Jammu Kashmir) में इंटरनेट प्रतिबंध के मामले (Internet Ban Case) को लेकर मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जम्मू- कश्मीर प्रशासन को इंटरनेट बैन से संबंधित समीक्षा आदेश प्रकाशित करने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन से कहा कि ऐसे आदेश अलमारी में नहीं रखे जाने चाहिए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र के वकील को निर्देश लेने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से जानना चाहा कि क्या इंटरनेट प्रतिबंध के संबंध में समीक्षा आदेश सुप्रीम कोर्ट के अनुराधा भसीन मामले में फैसले के तहत सार्वजनिक किए गए या नहीं. जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि उन आदेशों को अलमारी में नहीं रखा जाना चाहिए.

पीठ ने केंद्र शासित प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज की इस दलील को खारिज कर दिया कि अदालत के समक्ष तत्काल याचिका में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करते समय लगाए गए ऐसे प्रतिबंध से संबंधित विचार-विमर्श के प्रकाशन की मांग की गई है.

नटराज ने कहा कि याचिकाकर्ता की याचिका केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों से संबंधित समीक्षा आदेशों के संबंध में विचार-विमर्श की जानकारी प्रकाशित करने के लिए है.

विचार-विमर्श भूल जाइये, आप आदेश प्रकाशित करें : सुप्रीम कोर्ट 

इस पर पीठ ने नटराज से कहा कि विचार-विमर्श के बारे में भूल जाइये. आप आदेश प्रकाशित करें. क्या आप यह बयान दे रहे हैं कि समीक्षा आदेश प्रकाशित किये जायेंगे?  नटराज ने कहा कि उन्हें इस मामले में निर्देश प्राप्त करने की जरूरत है.

दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अपने आदेश में कहा कि विचार-विमर्श को प्रकाशित करना आवश्यक नहीं हो सकता है. हालांकि समीक्षा पारित करने वाले आदेशों को प्रकाशित करना आवश्यक होगा. कोर्ट ने नटराज को निर्देश लेने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है.

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